How to Program Your Mind | अपने दिमाग की Programming कैसे करे ?

Mind Programming

यह सुनने में ही बड़ा अटपटा सा लगता हैं की हम हमारे Mind की Programming कर सकते हैं?  आज से कुछ दिन पहले तक में भी यही मानता था की Mind Programming जैसी कोई Task नहीं होती , लेकिन एक दिन एक घटना ने मुझे यह मानने पर मजबूर कर दिया की सच में Mind Programming होती हैं और हम अपने Mind को खुद ही Indirectly Program करते रहते हैं , आइये में एक सत्य घटना आपको Share करता हु उसके बाद हम सीखेंगे की हम Mind को कैसे Program कर सकते हैं ।

दोस्तों इस सत्य घटना से हम यह जान पाएंगे की हम हमारे Mind Programming  किस तरह करते हैं जो हमें खुद को भी पता नहीं होती, यदि हमने इस Logic को समझ लिया तो हम हर वो कार्य हमारे Mind से करवा लेंगे जो करवाना चाहते हैं।


भाग एक 

दोपहर का समय था Office में लंच करने के बाद हम सभी अपने अपने कार्य करने में लगे हुए थे । तभी अचानक से  मेरा एक  colleague अपनी तबियत ठीक न होने के कारण मुझसे घर जाने की परमिशन लेने आया , और मेरे सामने वाली Chair पर बैठ गया, वह बहुत थी थका हुआ लग रहा था, चल कर भी धीरे धीरे ही आया था,  वह जोर से बोल भी नहीं पा रहा था और उसके चेहरे पर बहुत ही उदासी थी । फिर हमारे बिच कुछ बातचीत हुई जो इस प्रकार हैं ।

में :  “क्या हो  रहा हैं ?”

उसने बताया की “हाथ पैर दर्द कर रहे हैं , ठीक से बैठ भी नहीं पा रहा हु , और कोई काम भी नहीं कर पा रहा हु, इससे अच्छा हैं की   में घर जा कर आराम कर लू,”

मैंने कहा की  “मैं  किसी को बोलता हु वो तुम्हे घर छोड़ देगा”

उसने कहा : नहीं , किसी को परेशान मत करो में खुद ही चला जाऊंगा ।

इतना कह कर वह Thumb Machine पर Entry कर ऑफिस से बाहर चला गया । में भी अपने कार्य में व्यस्त हो गया ।

भाग एक में मैं समझा की उस बन्दे ने Indirectly ही अपने Mind की Programing की थी और वैसी ही उसकी Body Respond कर रही थी 

यानि जैसा उसका माइंड सोच रहा था वैसा वो होता जा रहा था। हम सुनते भी आ रहे हैं पुराने समय से की “जैसा सोचेंगे वैसे हो जायेंगे”

यहाँ पर घटना का एक दृश्य समाप्त होता हैं ।


भाग दो 

करीब 15 मिनिट बाद ही वही बंदा जो बहुत थक गया था मेरे पास भागते हुए आया ,  अब उसमे फुर्ती भी आ गई थी, आवाज में भी पहले से दम  था , और परेशानी पहले से भी ज्यादा दिखाई दे रही थी । वह मेरे पास आया और बोला की

  • “मेरे जुते चोरी हो गए हैं जो मेने अभी कुछ दिन पहले ही ऑनलाइन आर्डर किये थे। “
  • मेने पूछा “महंगे थे ?”
  • उसने कुछ कहा तो नहीं बस इशारा किया की “हा”। 
  • मेने  कहाँ की “आस-पास देखलो हो सकता हैं कही और उतार दिए होंगे”
  • उसने कहा की मैंने ने ग्राउंड फ्लोर  से ले कर थर्ड फ्लोर तक अपने जूते सभी जगह देख लिए परन्तु उसे जूते कही नहीं मिल रहे हैं ।

वह पिछले 15 मिनिट में पूरी बिल्डिंग में जहा जहा भी उसे शंका थी अपने Shoe Search कर रहा था परन्तु जब उसे ऐसा लग की अब नहीं मिल सकते तो वह फिर मेरे पास आया । और हमने  बिल्डिंग के कैमरा ओपेरटर को बुलाया और रिकॉर्डिंग चेक की और पता लगा की कोई उन जूतों को कोई लिफ्ट में से निकल कर उठा कर ले गया हैं , लिफ्ट बुल्कुल हमारे office के Shoes Stand के सामने ही हैं ।

हमें पता लग चूका था की अब जूते  हमें नहीं मिलना हैं , लेकिन उसके साथ ही हमें एक बढ़िया सिख भी मिली।

जब सभी लॉजिक लगाने के बाद भी जूते नहीं मिले तो वह बंदा वही मेरे पास आ कर बैठा जहाँ पर वह 2 घण्टे पहले  घर जाने की परमिशन के लिए बैठा था।

  • अब मेने उससे शरारती भाव से पूछा : “घर जाना होगा ना ?”
  • मेरा ऐसा पूछते ही उसे याद आया की : “मेरी तबियत ठीक नहीं थी जो अब ठीक हैं”

और न ही उसे हाथ पैर दर्द कर रहे , क्युकी जूते ढूंढने के चक्कर में उसने 3 मंजिला Building के कितने ही Round लगा दिए थे।

  • हम दोनों ने एक दूसरे को देखा और उसने मुस्कुराते हुए बोला की : “नहीं “

दोस्तों इस घटना से हमें एक बात तो साफ हो गई थी की जैसे हम माइंड को बोलते हैं वह वैसा कार्य बॉडी से कराने लग जाता हैं, जब वह बंदा बोल रहा था की वह ठीक नहीं हैं तो उसका माइंड उसे सही समझ कर बॉडी को Signal दे रहा था की वह ठीक नहीं हैं।

जैसे ही उसे उस स्थान पर जूते नहीं मिले तो माइंड ने शरीर के बारे में न सोच कर जूतों को कैसे सर्च करे पर फोकस किया और उसके लिए जो करना था वो किया, लेकिन दिमाग से यह बात पूरी तरह निकल गई की “मेरी तबियत ठीक नहीं  हैं ” 


बस इस कहानी की माध्यम से में आपको यही बताना चाहता हु की हम अपने माइंड को खुद ही प्रोग्राम कर सकते हैं, हम जैसे उसे बोलेंगे वह वैसा करेगा, इसलिए हमेशा अच्छा बोले , पॉजिटिव थिंकिंग रखे , देखते जाएये आप हर समस्या का सामना कर सकेंगे ।

और यदि आपने आपके माइंड को बोल दिया की में यह नहीं कर सकता तो यकीन मानिये आप वह कार्य  कभी नहीं कर पाएंगे। 

इसलिए कहा जाता हैं की मन के हारे  “हार” हैं  और मन के जीते “जित”

यहाँ पर सारा Game Conscious, Subconscious और Unconscious Mind का हैं । अगले आर्टिकल में हमें देखेंगे की किस तरह हम Programming कर अपनी Life में बदलाव ला सकते हैं ।

दोस्तों जल्द ही फोकस  पर अपने नए अनुभव के साथ आपसे मिलेंगे

धन्यवाद्

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