सोशल मीडिया का सामाजिक जीवन पर दुष्प्रभाव

भगवान श्री चित्रगुप्त लेखन कला मंच द्वारा जुलाई 2022 मे आमंत्रित लेख शीर्षक सोशल मीडिया का सामाजिक जीवन पर दुष्प्रभाव मे प्रेषित लेख इस प्रकार हैं । यदि कोई भी लेख कही से copy किया गया होगा तो उसके लिए लेखक स्वयं जवाबदार हैं ।

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1. चित्रांश सहेन्द्र श्रीवास्तव जबलपुर (म.प्र)

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सामाजिक जीवन मे सोशल मीडिया पर दुष्प्रभाव ज्यादा तर युवाओं मे हो रहे है जीवन शैली मे अवास्तविकता के परिणाम परिलक्षित हो रहे है धोखाघडी आन लाइन खरीदी झूठी खबरो के आदान प्रदान से दुष्प्रभाव ज्यादा सामने आ रहे सोशल मीडिया का प्रभाव युवाओ के जीवन शैली मार्गदर्शक न बनकर नकारात्मक साबित हो रही है अधिकांश युवा बाहरी खेलकूूद न भाग लेकर नेट इन्टर नेटवर्क के गेम खेलने से डिप्रेसन के शिकार हो रहे युवा पीढी यहा तक दोस्त बनाना सोशल मीडिया का ही सहारा लेते है।

युवा पीढी पढाई पर ध्यान न देकर इसमे समय ज्यादा वर्वाद कर रहे नीद नही चिढचिढापनपन मानसिकता पर नकारात्मक साबित हो रहा है सोशल मीडिया के द्वारा गलत तरीके से समाज मे दंगे होने से अप्रभावी हो रहा है साथ ही अपनो से दूर करने मे किया जा रहा है सांप्रदायिकता आतंकवादी समाज घाती कार्यो के लिये किया जा रहा है समाज मे दुष्प्रभाव फलीभूत हो रहा है।


2. चित्रांशी एकता श्रीवास्तव, इंदौर (म.प्र)

आज से कुछ वर्षों पूर्व की यदि हम कल्पना करें तो हमारा जीवन कितना शांतिपूर्ण ,आपसी सौहाद्र से भरा हुआ था। दोस्त,रिश्तेदार,पड़ोसी सब एक दूसरे से भलीभांति मेलमिलाप आये दिन करते ही रहते थे। छोटी-2 खुशियों से लेकर ग़म तक सभी में हर अपने पराए की हिस्सेदारी भौतिक रूप से हुआ करती थी। किसी को उसके ख़ास दिन की बधाई देने हम या तो उसके घर जाकर देते थे या पत्रों के माध्यम से। हाँ , मगर कभी-2 ऐसा भी होता था कि हम वक़्त पर अपनी हाज़िरी नही दे पाते थे और अपने से दूर बैठे सगे संबंधियों की एक झलक देखने को भी कई बार तरस जाते थे ।

लेकिन जबसे सोशल मीडिया का प्रादुर्भाव हुआ तबसे हम मनुष्यों की ज़िंदगी बिल्कुल ही बदल गयी। हमें यथार्थ और भौतिक रूप से अपनो से दूर करती चली गयी। हम सब बच्चे-बूढ़े कब व्यस्त हो गए उसमें कि पता ही नही चला। आज हमें किसी अन्य इंसान की ज़रूरत ही महसूस नही होती बस हाथ में फोन औऱ फोन में इंटरनेट होना चाहिये। सारे दुनिया जहान की ख़बर पलभर में हमारे हाथों में होती है किन्तु कई बार हमारे पड़ोस में कौन रहता है उनके यहां क्या दुख परेशानी है इससे हमें कोई सरोकार नही होता है।

जब से इंटरनेट का आविष्कार हुआ है माना की जीवन काफी हद तक आसान और सुगम होता चला जा रहा है एवं सोशल मीडिया की दुनिया ने हम सबको ही दीवाना सा बना के रख दिया है आख़िर ये दुनिया है ही बहुत लुभावनी है । तरह-2 के मन भावन नित नए एप्पलीकेशन आते है और हम सबको उसमें उलझाते से चले जाते है। दरअसल ये आधुनिक पीढ़ी का एक सशक्त माध्यम बन चुका है जिसके द्वारा न केवल मनोरंजन बल्कि रोजगार का भी बखूभी इंतज़ाम है। छोटे-बड़े ,गाँव- शहर सभी जगह सोशल मीडिया की धूम है। सभी बड़े चाव से इसका आनन्द ले रहे है एवं इसके जरिये कमाई भी कर रहे है।        

अब जैसे सिक्के के दो पहलू होते है इसके भी है। जहाँ फायदे ही फायदे से भरपूर है सोशल मीडिया वहीं उसके भयंकर परिणाम भी हम सब सुनते ही रहते और भुगतते भी है। क्योंकि कहा गया है न कि  “अति सर्वत्र वर्जयते”। कोई चीज़ कितनी भी लाभकारी क्यों न हो उसका अत्यधिक एवं अंधाधुंध प्रयोग सदैव विनाशकारी ही होता है। आज न जाने कितने हादसे और सायबर क्राइम इसी सोशल मीडिया की वजह से हो रहे है। वो सब परोसा जा रहा है जिसकी कल्पना भी हम नही कर सकते थे । इसका आविष्कार हुआ तो था हम सबके फायदे और  मनोरंजन के लिए किन्तु धीरे-2 ये एक अभिशाप भी बनता जा रहा है।

अंत में एक विनती… सोशल मीडिया से जुड़ें इसका भरपूर आनंद ले किन्तु अपनों को न भूले उन्हें आपके साथ और अपनेपन की ज़रूरत है ,जो कोई सोशल मीडिया पूरी नही कर सकता ,उसे केवल आपका साथ ही पूरा कर सकता है।अपने नन्हे बच्चों पर कड़ी नजर रखें वो क्या देखते हैं क्या शेयर करते हैं इसका ज्ञान हमें होना बहुत ही ज़रूरी है। बच्चों को मोबाइल थमा के आजकल के माता पिता आधुनिक होते चले जा रहे हैं किंतु वो ये भूल रहे हैं कि इसके परिणाम किसी परमाणु बम के समकक्ष ही है।


3. श्रीमती अर्चना श्रीवास्तव रीवा (म.प्र.)

परिवर्तन प्रकृति का नियम है। जहां पुरातन काल में कोई सन्देश भेजने में महीनों लगते थे, वही युग बदलते सैकंड में हम सन्देश बिना सन्देश वाहक के भेज सकते है। ये कमाल है सोशल मीडिया का।

त्वरित संचार का माध्यम है सोशल मीडिया जिसमे नफा नुकसान दोनों ही समाहित हैं। और इन्टरनेट के जरिए कार्य करता है। या यूं कहें कि संसार को तारों से जोड़ने वाला सशक्त माध्यम है सोशल मीडिया । यह अपरंपरागत मीडिया है, जो हमें आर्थिक, सामाजिक,राजनैतिक, सांस्कृतिक जानकारियों के साथ वैश्विक स्तर पर जोड़ता है। इसलिए आजकल सर्वप्रिय है। फेसबुक, व्हाट्सएप, इंस्टाग्राम,ट्विटर आदि कई ऐसे ऐप हैं जिनके द्वारा विश्व के हर कोने के व्यक्ति, संस्था से हमारे तार जुड़ सकते हैं।

अभी कोरोना काल में जब हम एक दुसरे से संपर्क नही कर सकते थे उस समय सोशल मीडिया बहुत मददगार रहा। कोई भी जानकारी बिना बाहर निकले घर पर ही मिल जाती।

सोशल मीडिया का अपना अलग संसार और उस पर वर्चस्व है। चाहे गीत, संगीत की दुनिया हो, लज़ीज़ व्यंजनों की जानकारी हो, शिक्षा संबंधी जानकारी, लेखन, बच्चों द्वारा छोटे छोटे वीडियो बनाकर अपलोड किए जाते हैं, अपने व्यवसाय को आगे बढ़ाने में सहायक, घर बैठें व्हाट्सएप, इंस्टाग्राम, फेसबुक के जरिए महिलाएं अपने हुनर, व्यवसाय को समृद्ध कर पा रही है। अपनी गायन, लेखन, वादन नृत्य की प्रस्तुति इन माध्यमों से लोगों तक पहुंचा कर अपने को श्रेष्ठ बना सकते हैं।

किसी भी कार्य के दो पहलू हैं, सकारात्मक सोच और नकारात्मक सोच। जहां सकारात्मकता सफलता में सहायक होती है,वहीं नकारात्मक सोच से व्यक्ति कुंठित हो अपराध करने में लिप्त हो जाता है। अब इन दोनो पहलू में से हम किसे अपनाते हैं, ये हमारी सोच है। सोशल मीडिया पर जो भी जानकारी अपलोड की जाए मर्यादित हो, सीमित हो।

कभी कभी कोई भ्रामक जानकारियां भी दिखाई पड़ती हैं जिन्हें यदि आवश्यक न हो न देखें । कुछ वीडियो के माध्यम से अश्लीलता परोसी जाती है, उत्तेजक प्रदर्शन, लड़ाई झगड़े, जीव हत्या जैसे संवेदनशील वीडियो मन को कलांत करते हैं। इन्हें अनदेखा करें।
मनोरंजक, ज्ञानवर्धक, आध्यामिक जानकारी लें।

सोशल मीडिया का उपयोगसीमित करें और सतर्क होकर जिसके कुछ दुष्परिणाम भी हैं

  • समय की बर्बादी।
  • आपसी होड़ से नकारात्मकता आना।
  • शरीर और आंखों के लिए हानिकारक।
  • घर में रहने वाले लोगों को समय न दे पाना।
  • सामाजिक दूरी।
  • एकाकी जीवन, जिसमे लोगों का हस्तक्षेप पसंद न होना।
  • अपराधों में वृद्धि।
  • बच्चों का समय से पहले ही बड़ा होना।


इन्टरनेट जितना सुलभ, सरल उतना ही क्लिष्ट भी है। उपयोग करें सीमित, और रहें सुरक्षित।


4. रचयिता श्रीमती प्रियंका भूतड़ा बरगढ़ (उड़ीसा)

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हर चीज के दो पहलू होते हैं कुछ बुराइयां तो कुछ अच्छाइयां। जब से आई सोशल मीडिया तब से जनता में बहुत अंतर आ गया है। देखेंगे एक नजरिए से तो सोशल मीडिया की वजह से ही आज की पीढ़ी बहुत आगे बढ़ रही है।

सोशल मीडिया इंटरनेट के माध्यम से एक वर्चुअल वर्ल्ड बनाता है। जिसके अंतर्गत सोशल मीडिया के किसी भी प्लेटफार्म का उपयोग करके अपनी एक पहुंच बनाता है। सोशल मीडिया के द्वारा ही आज सूचनाओं का आदान-प्रदान होना, मनोरंजन करना, करुणा काल में बच्चों की पढ़ाई पर प्रतिबंध लगने पर ऑनलाइन क्लासेस होना, घर बैठे ऑफिस वर्क करना यह सभी कार्य संपन्न हुए। सोशल मीडिया के द्वारा ही राजनैतिक, आर्थिक, सांस्कृतिक, सामाजिक, विभिन्न कार्यों को समृद्धि प्राप्त हुई। सोशल मीडिया के अंतर्गत देखे तो आज भारत बहुत विकसित हुआ है।

अब तक हमने सोशल मीडिया के फायदों से संबंधित अवगत कराया। अब हम सोशल मीडिया के दूसरे पहलू यानी कि सोशल मीडिया से होने वाले नुकसान के बारे में बता रहे हैं। जैसे कि हम जानते हैं कि आज का सब ऑनलाइन रहते हैं और दोस्तों से हरदम चैट पर लगे रहते हैं जिससे पारिवारिक रिश्तों मे दरार आ जाती है। आपस में मिलना जुलना, बाहर आना जाना आज के दौर में बहुत कम हो गया है।

बच्चे आजकल आउटडोर गेम आपस में मिलजुल कर गेम खेलना भूल ही गए हैं। पूरा दिन मोबाइल में ही समय बिताते हैं। मोबाइल में ही हर गेम खेल कर अपना समय बिताते हैं। जिससे उनकी आंखें और हेल्थ दोनों में फर्क पड़ता है। और पढ़ाई में भी विकार उत्पन्न हो जाता है। पढ़ाई से उनका मन दूर होता जा रहा है। कंप्यूटर और गेजस्ट के ज्यादा इस्तेमाल से उनके हेल्थ पर भी खराब असर पड़ रहा है।

इस तरह सोशल मीडिया के फायदे होने के बावजूद भी कुछ दुष्प्रभाव भी होते हैं जिससे व्यवहारिक सामाजिकता अंतर दिखाई देता है।


5. श्रीमती अनुराधा सांडले खंडवा (म.प्र.)

कराेना का सक्मण !!
जब से बड़ा !!
माेबाईल घर के छाेटे छाेटे बच्चों ने हाथ में लिया
ऑनलाइन क्लास बच्चों को लेना भारी पढ़ा
कहीं नेटवर्क प्रॉब्लम की असुविधा से बच्चों का भविष्य पढ़ाई करते समय पीछे रहा
कितनी अटकले मुसीबत बन कर आई ये सब मिडियां पर चला

पर एक नया दृष्टिकोण सकारात्मक सोच लिए बड़ी मुश्किल में खड़ा नहीं आने दी बच्चों की पढ़ाई में कोई दिक्कत यह नया होना बच्चों ने सीखा वैसे तो कहीं आलतू फालतू चर्चे चले पर धन्य भारत की सरकार जिसने हर मुसीबत में सब का साथ दिया सामना किया


6. चित्रांशी नीलू सक्सेना कस्तूरी देवास (म.प्र.)

1) छोड़ कर मोबाइल तुम, खेलो खेल मैदान में तुम.
.शारीरिक व्यवधान से तुम, हो जाओगे बलवान तुम.

2) इंटरनेट नहीं सर्च करो, दिमाग थोड़ा खर्च करो.
पुस्तकीय ज्ञान न व्यर्थ करो, तार्किक ज्ञान समर्थ करो.

3) हम बड़े भी तुम बच्चों पर देंगे ध्यान, नेट और मोबाइल से रहेंगे सावधान.
बच्चे हैं भारत की आन, बान, आज के बच्चे कल की शान.

4) बच्चों को विद्यालय भेजें, रुचि पैदाकर पुस्तकालय भेजें.
धार्मिक देवालय, गुरु के पास भेजें, बम भोले बाबा रहते शिवालय भेजें.

5) बच्चों आज से करो प्रण तुम, ना जाओगे नेट पर तुम ।
पढ़ लिखकर बनो ज्ञानवान, तभी भारत देश होगा महान.


7. चित्रांशी अंजली श्रीवास्तव महमूदाबाद जिला सीतापुर (उ.प्र.)

हम सब जिस माध्यम से जुड़े हुए हैं एवं आप तक अपने विचार पहुंचा रहे हैं यह सोशल मीडिया के माध्यम से ही सम्भव हुआ है। इसलिए यह कहना की सोशल मीडिया से केवल सामाजिक जीवन और व्यक्तिगत जीवन पर दुष्प्रभाव ही होते हैं बिल्कुल ही गलत होगा।

आज से दो तीन दशक पहले जब सोशल मीडिया का औचित्य नहीं था, तब दूर बैठे इंसान को संदेश भेजना भी बहुत मुश्किल होता था और समय भी लगता था, परंतु आज कोई दुनिया के किसी भी कोने में बैठा है फिर भी हम उससे बातचीत कर सकते हैं,वीडियो कॉल पर उसे देख भी सकते हैं। सोशल मीडिया के माध्यम से हम अनेक नई चीजें सीख सकते हैं। कोरोना काल में जब बच्चों की पढ़ाई बंद हो गई थी तब सोशल मीडिया ने ही बच्चों की पढ़ाई जारी रखने और स्कूल से जोड़े रखने में अहम भूमिका निभाई थी।

सोशल मीडिया के अनेकोंनेक फायदे से हम सभी परिचित हैं। जिस प्रकार किसी भी चीज के फायदे होते हैं तो नुकसान भी अवश्य होते ही हैं। सोशल मीडिया के दुष्प्रभाव अत्यंत चिंतनीय है।जहां इसने हम सबको जोड़ रखा है,व्यक्तिगत जीवन में परिवारों के बीच मानसिक दूरी भी पैदा कर दी है। साथ रहते हुए भी एक दूसरे के बारे मे नहीं पता होता।

दूसरी तरफ समाज में अपराधियों को भी बढ़ावा दिया है। साइबर अटैक जैसी घटनाएं आए दिन ख़बरों में रहती हैं। सोशल मीडिया ने साइबर क्राइम को बहुत हद तक बढ़ावा देने के साथ-साथ सामाजिक जीवन में मूलभूत परिवर्तन किए है। पहले परिवार में सब कार्य खत्म होने के बाद एक दूसरे के साथ मिल बैठकर बातें करते और एक दूसरे के सुख दुख को सुनते थे,वही आज सोशल मीडिया में व्यस्त रहते हैं। इससे परिवार में सदस्यों के बीच दूरी पैदा हुई है, जिस वजह से हम अपने मनोभाव और दुखों को व्यक्त नहीं कर पाते हैं और मानसिक अवसाद, चिंता जैसी बीमारियों के शिकार हो जाते हैं। आत्महत्या की तरफ अग्रसर होते हैं। आज हम भीड़ में भी खुद को अकेला महसूस करते हैं।

आज सोशल मीडिया पर मित्र बहुत है लेकिन असलियत में मित्रों का अभाव है। सोशल मीडिया की वजह से परिवार टूट रहे हैं। बहुत से लोग केवल इसलिए अकेले रहना चाहते हैं क्योंकि उन्हें सोशल मीडिया पर ज्यादा टाइम बिताना होता है। सोशल मीडिया ने समाज को एक ओर नई दिशा, गति और उच्चतम अवसर प्रदान किया है,

वहीं दूसरी तरफ जघन्य अपराधों को भी बढ़ावा दिया है। समाज में पीढ़ी संघर्ष को और बढ़ा दिया है। जिन पर खुद का या माता-पिता नियंत्रण नहीं है उन्हें गलत रास्ते पर चलने,गलत विचारों से जुड़ने में भी सहायक बना है। समाज में दंगों को भड़काने,भीड़ को उग्र करने तथा धार्मिक राजनीतिक छोटे-छोटे मुद्दों को बहुत बड़ा कर या भ्रामक और मिथ्या ख़बरों को जनमानस तक पहुंचाने में अराजकतावादियों के लिए एक साधन का कार्य किया है। जिसकी वजह से समाज में एक प्रकार की कट्टरता और दूसरी पार्टी या धर्म को लेकर घृणा का भाव लोगों के मन में घर कर गया है।

ध्यातव्य है कि हमे सोशल मीडिया के सकारात्मक और नकारात्मक प्रभावों को देखते हुए स्वनियन्त्रित होने की आवश्यकता ही आज की मांग है।


8. चित्रांश विवेक रंजन श्रीवास्तव भोपाल (म.प्र.)

प्रत्येक सिक्के के दो पहलू होते हैं । हम किस तरह तकनीकी सुविधाओं का उपयोग करते हैं, वह हम पर ही निर्भर करता है। सच है कि इंटरनेट ने दुनिया को ग्लोबल बना दिया है , पर इससे कुवृत्तियों व अपराध भी बढ़े हैं । पोर्न साइट्स ने स्त्रियों को असुरक्षित कर दिया है । सायबर अपराधी किसी अन्य देश मे बैठे हुए हमारे बैंक खातों में सेंध लगा रहे हैं । सोशल मीडिया का उपयोग कर दंगे , अफवाह फैलाई जा रही हैं।

मैं लंबे समय से मांग उठाता रहा हूँ कि ईमेल जो इंटरनेट के उपयोग हेतु प्रारम्भिक पंजीकरण है उसका सत्यापन कर रजिस्ट्रेशन सरकारों के द्वारा होना चाहिए । इसके लिए अंतरराष्ट्रीय समझौते आवश्यक होंगे । यदि इंटरनेट उपयोग कर्ता का आईडेंटिफिकेशन पक्का हो जावेगा तो सभी तरह के अधिकांश सायबर क्राइम कम हो जाएंगे । क्योकि कुछ तो सामाजिक दबाव में लोक लज्जा से , कुछ सजा के डर से लोग ये अपराध नही करेंगे । आज इंटरनेट पर फेक आई डी की जो भरमार है , वह नियंत्रित होगी। पंजीकरण से सरकारों को कुछ शुल्क भी मिल जाएगा ।

आशय यह है कि इंटरनेट का सदुपयोग हो तो यह कनेक्टिविटी का वरदान है , स्वयं मेरे बच्चे आज ग्लोब में इस तरह हैं कि हमारे परिवार में सदा सूरज चमकता रहता है , हमें आवागमन बाधित कोरोना काल मे इंटरनेट ने ही जोड़े रखा। किंतु जिस तरह से फेसबुक , व्हाट्सएप , इंस्टाग्राम , ट्विटर और अन्य प्लेटफार्म्स पर सोशल मीडिया ने अपने तुरंत असंपादित प्रसारण के चलते अविश्वसनीयता का वातावरण बना दिया है , चिंता का विषय है।

सोशल मीडिया के दुष्प्रभाव के प्रतिफल ही हैं की नासमझी में फारवर्ड पोस्ट से समाज में कटुता, वैमनस्य का भाव पनपता दिख रहा है । जरूरत है कि इसके उपयोग में दूसरों के हाथों की कठपुतली न बन जाएं तथा सजगता से इसका उपयोग रचनात्मक रूप से करें ।


9. चित्रांशी सौम्या श्रीवास्तव

विषयान्तर्गत सबसे पहले यह जानना जरूरी है कि,सोशल मीडिया क्या होता है..?सीधे और सरल शब्दों में कहा जाय तो खबर, विचार,जानकारी, खोज आदि को संचारित करने का सबसे तेज माध्यम सोशल मीडिया है। यह इंटरनेट के माध्यम से संचालित होकर कार्य सम्पादित करता है।इसमें टीवी चेनल्स, फेसबुक, इंस्टाग्राम, व्हाट्सएप्प, ट्विटर की सहभागिता प्रमुखता से आती है।सबसे विशेष बात यह कि यह सब आज मोबाइल पर उपलब्ध है।

पिछले दो दशकों में इसकी उपयोगिता और आवश्यकता में मार्केबल और त्वरित गति आई है। और आज ये सर्वव्यापी बन गया है। हर एक के पास मोबाइल होना इसकी व्यापकता और उपलब्धियों का गवाह बन गया है।

हर विषयवस्तु के सदैव ही दो पहलू सकारात्मक और नकारात्मक होते हैं। सोशल मीडिया भी दोनो प्रकार से काम करता है,यह आप पर निर्भर करता हैं कि,आपका चयन क्या है। चूंकि सबके अपने मोबाइल है अतः हम क्या देखे इसकी पूरी स्वतंत्रता मिली हुई है। चूंकि सकारात्मक प्रभाव हमारे विषय के बाहर की वस्तु है,अतः यहाँ हम केवल इस पर बात करेंगे कि, इसके नकारात्मक प्रभाव हमें या आने वाली पीढ़ी को कैसे दुष्प्रभावित कर रहै है।

सोशल मीडिया एक उत्तम संसाधन होने के साथ ही लत यानि बुरी आदत को जन्म देता है, बच्चे इसके एडिक्ट हो रहे है, लगातार इसके माध्यम जैसे फेसबुक व्हाट्सएप्प, इंस्टाग्राम के लगातार उपयोग से जहाँ एक ओर सब लाभान्वित हो रहे हैं, लेकिन कम दामों पर सहज उपलब्धता होने से अक्सर बच्चे और युवा राह भटक भी रहे हैं। उपयोग से दुरुपयोग की राह इन्हें अधिक सुगम और आनंददायी लगने लगती है, बस यही से दुष्प्रभाव अपना असर करने लगता है।

  • सोशल मीडिया का सामाजिक जीवन पर सबसे बड़ा दुष्प्रभाव यह हुआ हैं कि मनुष्य अब सामाजिक प्राणी नही रहा,मैं और मेरा मोबाइल तक उसकी दुनिया सिमट गई है, परिवार के प्रति दायित्व घट रहे हैं और समाज के प्रति संवेदनशीलता भी मरने लगी है।
  • जानकारी का यहाँ अनंत और असीमित भंडार है। जिस तरह ओपन मार्किट में सब कुछ मिलता है, और चयन अच्छा होगा तो ही लाभकारी वरन नुकसान और बर्बाद करने की सामग्री प्रदान करता है। बहुत सी जानकारी यहाँ भ्रामक उप्लन्ध होती है।
  • जानकारी को किसी भी प्रकार से बदल कर भड़काऊ तरीके से पेश किया जा सकता है, जिसका सच्चाई से कोई वास्ता ही नही होता।
  • यहां साक्ष्य प्रस्तुत करने को कोई अधिकृत न होने से इस पर प्रसारित जानकारी या समाचार विश्वसनीय हो, ऐसा जरूरी भी नही।
  • प्राइवेसी पूर्णत: खत्म हो जाती है। एक बार जो खबर किसी प्रकार से सोशल मीडिया पर आई तो कही भी कैसे भी दुरूपयोग हो कर वायरल हो सकती है।
  • प्रसारण आमने सामने बैठकर तो होता नही इसलिए भाषा का स्तर अपशब्दों तक पहुंच कर नए नए विवादों को जन्म देता है।न्यूज़ चेनल्स पर दिखाई जाने वाली बहस इसका उदाहरण है।जबसे ऐसा हुआ है गलत बयान बाजी का बाजार भी चल निकला है।
  • फोटो या वीडियो की एडिटिंग करके भ्रम फैला कर गलत परिस्थितियों को बढ़ावा मिलता है,जिनके व्दारा समाज मे असुरक्षा की भावना और आशंका भी उत्पन्न हो जाती है।
  • सायबर अपराध सोशल मीडिया से जुड़ी सबसे बड़ी समस्या है।बैंकिग और दूसरी व्यवसाय प्रणाली जहाँ एक ओर त्वरित हुई वहीं फ़्रॉड्स चरम सीमा पर पहुंच गए। आये दिन लोगो के बैंक खाते खाली हो रहे हैं।

दुष्प्रभावों से बचने को व्यक्ति को सोशल मीडिया के सम्पर्क में आने से पहले सुरक्षा की पूरी जानकारी और इनके विश्वनीयता के स्तर की परख होना जरूरी है।आर्थिक धोखाधड़ी से बचने के लिए नियमो का सख्ती से पालन जरूरी है, गोपनीयता सम्बन्धी जानकारी गोपनीय ही रखें। भारत सरकार को दुरूपयोग और फ़्रॉड्स को नियंत्रित करने हेतु सुरक्षातंत्र को मजबूत और सायबर कानून को कठोर करना आवश्यक है। दुष्प्रभाव से बचने का सबसे सुगम उपाय आत्म नियंत्रण हो सकता है।


10. डॉ शशिकला अवस्थी इंदौर (म.प्र.)

सोशल मीडिया के औचित्य में दोनों पहलू हैं -लाभ के साथ हानियां भी हैं ।यहां हम हांनिया- दुष्प्रभाव पर ही प्रकाश डाल रहे हैं। सोशल मीडिया का दुष्प्रभाव , बड़ा चिंतनीय विषय है। परिवारों में व्यक्तिगत जीवन में दूरियां बढ़ी हैं । परिवार में एक छत के नीचे रहते हुए भी एक दूसरे की भावना को समझना का समय नहीं है क्योंकि मोबाइल इंटरनेट के फेसबुक, इंस्टाग्राम, व्हाट्सएप, टि्वटर में हम अपना खाली समय खपा रहे हैं।
समाज में भी अपराधी प्रवृत्तियों को बढ़ावा देने वाली सामग्री, सोशल मीडिया से अपराधियों को मिल रही है ।अपराधों में बढ़ावा हो रहा है । साइबर अपराध बढ़ गए हैं। बैंक खाता धारियों के खातों की राशि साफ हो रही है और विदेशी अपराधी भी उसमें शामिल है ।हमारी पुलिस उन्हें पकड़ नहीं पा रही है। इसमें भी नए अनुसंधान की आवश्यकता है ।

गूगल गुरु ने साक्षात शैक्षणिक ज्ञान देने वाले गुरु का महत्व कम कर दिया है। पुस्तकालय में पुस्तकें धूल खा रही हैं क्योंकि गूगल गुरु से, सब जानकारियां ,पुस्तकों सहित उपलब्ध हों रही हैं ।

समाज में सोशल मीडिया के द्वारा भ्रामक जानकारियां फैलाई जा रही हैं । जिससे समाज में नफरत फैल रही है। पहले परिवार ,समाज में लोग अपना काम निपटा कर मिलते जुलते थे लेकिन अब लोग काम निपटा कर मोबाइल में लग जाते हैं। परिवार व रिश्तेदारों में रिश्तो की मिठास में कमी आई है।

बच्चे, माता -पिता और दादा -दादी के नियंत्रण से बाहर हो रहे हैं । बच्चों के बचपन के खेल -पकड़ापाटी-दौड़, छिपा छाई, खो -खो ,कबड्डी, सितोलिया ,कोड़ा बदाम साही , कैरम ,अंग -बंग -चौक -चंग ,पांचे आदि दूर हो गए हैं अब बच्चे मोबाइल गेम लगे रहते हैं।
मोबाइल पोर्न साइट से, यौन अपराध बढ़े हैं। नारियों के लिए और समाज के लिए खतरे का माहौल बन रहा है ।

सामाजिक जीवन में काफी मूलभूत परिवर्तन हुए हैं। अत्यधिक इंटरनेट मोबाइल उपयोग ने मायग्रेन, अवसाद, बॉडी पेन ,हार्ट अटैक, ब्रेन स्ट्रोक बीमारियों को बढ़ावा दिया है। सोशल मीडिया में अधिक समय दिया जा रहा है जबकि अपनों के लिए समय नहीं है। कैसी विसंगति है सोशल मीडिया पर हजारों मित्र हैं परंतु असली जीवन में साथ देने वाले मित्रों से संपर्क मेल मिलाप नहीं हैं ।इसलिए समय पर साथ देने वाला मित्र संपर्क भी टूट गया है। दिशाहीन हुआ मानव, दुनिया की भीड़ में अकेला पड़ गया है।

ऑनलाइन, खरीदी, बिक्री से बेरोजगारी बढ़ी है ।कंपनियां सफल हो रही हैं और बाजार के दुकानदार असफल हो रहे हैं ।ऑनलाइन ठगी भी बढ़ी है।

वैसे सोशल मीडिया के फायदे भी बहुत हैं । अतः हम सोच विचार कर, नियंत्रण में रहते हुए, विवेक के साथ सोशल मीडिया का उपयोग करें तो समाज के हित में होगा । दुष्प्रभाव से बचने का पूरा प्रयास किया जाए तो सोशल मीडिया के लाभ से समाज का उन्नत विकास होगा।


11. चित्रांश नरेश कानूनगो, देवास (म.प्र.)

‘समाज मे जागरुकता पैदा करने के लिए, मीडिया प्रबल माध्यम है। संचार के साधनों मे आई क्रांति, दुनिया के किसी भी हिस्से मे हुई घटना – दुर्घटना को पलों मे समाज में, लोगों में त्वरित पहुँचाने मे सहायक हो रही हैं। इन्हीं के चलते मीडिया की उपयोगिता बढ़ती जा रही है। वैसे तो मीडिया द्वारा समाज मे शांति , सौहार्द , समरसता और सौजन्य की भावना को विकसित किया जाना चाहिए परंतु आज समाज मे इसका उलट हो रहा है। सोशल मीडिया के विभिन्न प्लेटफार्म्स का उपयोग अशांति फैलाने, आपसी भाईचारे को मिटाने और धार्मिक भावनाओं को भड़काने में अधिक किया जाने लगा है। देश भक्ति और एकता की भावनाओं को जगाने की अपनी जवाबदेही निभाने मे मीडिया की लापरवाहियां आये दिन खबरों मे बनी रहती हैं। समाचार पत्र हों अथवा टीवी चैनल्स्, सभी को पढ़कर – देखकर यही लगता है कि ये सब राजनीतिज्ञों और राजनीतिक दलों के हाथों की कठपुतलियां बन गये हों। सोशल मीडिया के दुष्प्रभावों के चलते, गोपनीयता की कमी का फायदा लेते लोग फेक न्यूज़ और हेटस्पीच को फ़ैलाने मे बिलकुल नहीं हिचक रहे हैं।

विकसित संचार तकनीक के निरंतर विकास ने सोशल मीडिया का उपयोग बहुत आसान और किफायती बना दिया है। हर घर मे, हरेक सदस्य के हाथ मे आज मोबाइल है, जो सोशल मीडिया के सभी माध्यमों का उपयोग धडल्ले से कर रहे हैं। घरों में रहते हुए भी, अनेक परिवारों के सदस्य एक दूसरे से मोबाइल के जरिये ही संपर्क में हैं। परिवारों में एक वक्त का खाना भी साथ बैठकर नही खाया जा रहा है। साथ बैठने पर, सभी की अगुंलियां अपने अपने मोबाइल के स्क्रीन पर खेलती रहती हैं। किसी के पास एक दूसरे से प्यार मोहब्बत से बात करने का वक्त ही नही है। लोगों में विशेषकर, किशोरवय वाले युवाओं में अश्लील साहित्य और वीडियो देखने की संख्या मे बढ़ोत्तरी हो रही है। सस्ती दरो पर इंटरनेट की उपलब्धता, हर हाथ मे स्मार्ट मोबाइल फोन के दुष्प्रभाव यौन अपराधों को बढावा दे रहे हैं। कोरोना काल मे शुरू हुई ऑन लाइन पढ़ाई ने, पढ़ाई की आड़ मे बच्चों को वीडियो गेम्स खेलने और अनर्गल साहित्य देखने का चस्का लगा दिया है।

हर सही और हर गलत चीज, इंसान के दिमाग से ही उपजती हैं। सोशल मीडिया जैसी फायदेमंद सुविधा का उपयोग किस काम के लिए हो यह सभी इंसान समझने लग जायें तब ही सोशल मीडिया से समाज पर होने वाले दुष्प्रभावों से छुटकारा मिल पायेगा। अन्यथा दुष्प्रभावों की मार से कोई नही बच पायेगा।’

(स्वरचित एवम् मौलिक)


12. लेखक उदय भास्कर अम्बस्थ जबलपुर (म.प्र.)

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मनुश्य एक सामाजिक प्राणी है। विभिन्न वर्ग समुदाय, जाति, धर्म के लोग एक साथ एक परिवार के रूप में सौहार्दपूर्ण वातावरण में वसुधेवकुटुम्बकम का लक्ष्य रखकर सामंजस्य बनाकर जीवनयापन करते है। सुख दुख को साजा कर एक सभ्य सुसंस्कृत समाज की संरचना करते है।

वर्तमान में समाज का एक बड़ा वर्ग बुजुर्ग वयस्क व बच्चे कार्यालयों में विभिन्न षैक्षणिक संस्थाओं में अनुसंधान में स्मार्ट फोन व 4जी त्वरित संप्रेशण माध्यम से बेबसाईट से संबंद्ध होते है। इसे ही सोशल मीडिया कहा जाता है। बेबसाईट लोगों को एक मंच पर लाकर जोड़ने का कार्य करती है जिस पर कोई भी व्यक्ति आसानी से अपना प्रोफाईल, डी.पी. बनाकर बेबसाईट से जुड़ने का आवेदन कर सकता है। बेबसाईट के ऐसे ही समूह को सोशल मीडिया कहा जाता है।

हर व्यक्ति में हर व्यवस्था में हर सिक्के के दोनों पहलू होते है। सोशल मीडिया में सामाजिक जीवन पर प्रभाव, दुश्प्रभाव दोनों होते हैं। सोशल मीडिया के माध्यम मोबाईल, इंटरनेट, इंस्टाग्राम, ई-मेल, वॉटसअप, गूगल, टेलीविजन, इलेक्ट्रानिक प्रिंटआउट आदि है।
आज बच्चे वयस्क, बुजुर्ग सब मोबाईल पर व इंटरनेट पर पूरी तरह एकाग्रचित रहते है। सोते जागते मोबाईल पर गूगल पर अपनी नींद खराब कर मानसिक व षारीरिक सेहत बिगाड़ कर अपना भविश्य दूशित कर रहे है। आज समाज व पड़ोस की विचारधारा अपनत्व षून्य की ओर है एक घर के चार कमरों में रहने वाले भाई बहिन भी वॉटसअप पर सुप्रभात वंदन करते है। सच यह है कि एक दूसरे को देखना न जरूरी समझते है और न ही औपचारिक। मासिक किष्तों में क्रय किये गये मंहगे मोबाइल, लेपटॉप, आर्थिक समस्या के जनक है तो दूसरी ओर चिंता और अवसाद का कारण है मोबाइल इंटरनेट गेम की हानिकारक किरणें बच्चों में कम उम्र में रतौंधी व दृश्टिदोश का कारण बन रहे है। नींद की कमी पूरे षरीर को षिथिल कर देता है और उत्साह ऊर्जा का संचार कम कर नकारात्मक प्रवृत्ति की ओर बढ़ता है।

हम इस दौर में आमने-सामने वार्तालाप के अवसर कम से कम उपयोग करते है जिससे भावनात्मक दूरी बढ़ी है। हम जितना ज्यादा सोशल मीडिया का उपयोग करेगें उतना ही ज्यादा नकारात्मक धारणायें, चिंता व अवसाद बढ़ेगा। हमारी सामाजिक कार्यालयीन पारिवारिक वित्तीय निजता पर मिनटांे में प्रहार हो रहा है। एक पासवर्ड, ओ.टी.पी. हमें सड़क पर पहुंचा देता है सोशल मीडिया के अंधानुकरण के परिणाम स्वरूप सामाजिक मर्यादा, रीति रिवाज की धज्जियां उड़ रही है। जन्म दिन, साल गिरह की षुभकामनायें अब हस्तलिखित व्यक्तिक स्पर्ष के षुभकामना संदेष के बजाये वॉटसअप व फेसबुक के जरिये होता है। जन्म दिन पर वॉटसअप पर बधाई लिख दी जाती है परंतु व्यक्तिषः मुलाकात पर हम मौन हो जाते है। वैवाहिक निमंत्रण वॉट्सअप पर होते है कोई मनोहार नही होती । चुनाव प्रचार भी अब फेसबुक और ट्विटर पर होते है। हल्के स्तर के सामान भी ग्राहकों को प्रचार माध्यम से विक्रय कर दिया जाता है बैंकों में लाखों करोड़ो की धोखाधड़ी हो रही है और जनमानस को नुकसान पहुंचाया जा रहा है। क्रिकेट मैच के लाईब प्रसारण व रिप्ले में निर्णय को प्रमाणिक तो बनाया है परंतु अम्पायर की उपलब्धता व निर्णय को चुनौती दिया है। सोशल मीडिया का सबसे ज्यादा उपयोग युवाओं द्वारा होता है। वे सोशल मीडिया के नषे में इतना डूब जाते है कि विपरीत लिंग से मित्रता कर चैटिंग करने लगते है जिससे उनका षैक्षणिक बहुमूल्य समय बर्बाद होता है।

सोशल मीडिया की बहुत सी हानि है परंतु यह अवसर बुरा नही है हम इसका गलत उपयोग कर भ्रामक व निराषाजनक संदेष भेजकर जनधन की क्षति पहुंचाते है अधिकांष लोग अपनी भावनाओं पर नियंत्रण नही रख पाते है और बिना जांचे परखे, बिना सत्यता जाने समाचार को आगे बढ़ा देते है और कई तरह की आलोचनाओं का सामना करते रहते है। सायबर अपराध बहुत ज्यादा बढ़े है सोशल मीडिया खराब विशय नही है परंतु इसका उत्कृश्ट उपयोग समझदारी व विवेकपूर्ण होगा तो हम सभी प्रकार की कठिनाईयों से सुरक्षित रहेगें। परीक्षाओं में नकल सोशल मीडिया से सहज हो गया है परीक्षा के प्रष्नपत्र चोरी कर सोशल मीडिया के माध्यम से दूरदराज तत्काल पहुंच जाते है व काला खेल होता है सोशल मीडिया का उपयोग सीमित व आवष्यकता अनुरूप करना होगा। सोशल मीडिया आतंकी संगठनों के लिए सबसे बड़ा हथियार बन गया हैं वे ट्विटर से भर्ती व फंडिंग का काम कर रहे है। इंटरनेट पर 90 प्रतिषत आतंकी गतिविधियां सोशल मीडिया से होती है ये गलत व उकसाने वाले वीडियों वायरल कर समाज को गुमराह करते है और फंड इकट्ठा करने की अपील दुनिया भर में पहुंचाते है।

माननीय न्यायालय ने भी सोशल मीडिया के खिलाफ सख्त कानून बनाने की मांग की है और इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में 2019 से मामले लंबित है।


13. आनन्द निगम, इन्दौर (म.प्र.)

विचारों के संप्रेषण का सबसे सशक्त माध्यम है मीडिया। कुछ समय पूर्व तक सिर्फ प्रिंट और इलेक्ट्रोनिक माध्यम से ही हम अपने विचारों को किसी अन्य तक पहुंचा सकते थे मगर आज सोशल मीडिया याने व्हाट्स अप, इंस्टाग्राम, फेसबुक जैसे सोशल मीडिया मंच उपलब्ध हैं जिससे हम अपने विचारों को तत्काल किसी अन्य के साथ साझा कर सकते हैं और लोगों प्रतिक्रिया भी तुरंत उसपर मिल जाती है, ऐसे द्रुतगामी संचार साधनों से एक तरफ जहां हमारे सामाजिक जीवन को आसान बना दिया है वहीं इसके दुरुपयोग ने कई तरह की अनजानी परेशानियों को भी जन्म दे दिया है।किसी भी सामाजिक, आर्थिक या राजनैतिक मुद्दे पर किसी के विचार किसी और के विचार से मिलना जरूरी नहीं है अर्थात् सहमति-असहमति की स्थिति में सोशल मीडिया पर तुरंत प्रतिक्रिया वाद विवाद की स्थिति पैदा कर देती है और एक स्वस्थ बहस आपसी द्वेष भाव में तब्दील हो जाती है।

दूसरी ओर सोशल मीडिया का उपयोग(?) सबसे ज्यादा नव पीढ़ी के द्वारा किया जा रहा है जो उसका क्या उपयोग कर रहे हैं वह जगजाहिर है। वस्तुतः समय की कमी के कारण सामाजिक दूरी को आपने लिए सोशल मीडिया एक अच्छा मंच साबित हो सकता है मगर आज रचनात्मक गतिविधियों के बजाय इस मंच को ज्यादातर लोगों द्वारा एक अलग ही रुप में इस्तेमाल करने से समाज को वो लाभ नहीं मिल पा रहा जो इससे वाकई लिया जा सकता है। रिश्तों में दरार का एक प्रमुख कारण आज सोशल मीडिया है जिसकी वजह से न सिर्फ परिवार टूट रहे हैं बल्कि सामाजिक तानाबाना भी तहस नहस हो रहा है। इसलिए बेहतर है सोशल मीडिया जैसे सशक्त माध्यम का उपयोग हो दुरुपयोग नहीं।


14. डॉ अखिल सहाय राजाजीपुरम लखनऊ (उ.प्र.)

आज की ज़िंदगी वैसे ही इतनी कठिन हो गयी है और एकाकी हो गयी है और उस पर सोशल मीडिया ने सामाजिक जीवन को और अधीन अकेला और असभ्य कर दिया है आज का युवा जो कल का भविष्य है उसको तो एकदम ही बेकार ही कर दिया है मानसिक आर्थिक और शारीरिक स्तर से तो सबसे पहले मानसिक स्तर की बात करते है कि कैसे खराब किया है आप किसी भी पार्क मैं घर मे किसी भी भीड़ भाड़ वाली जगह पर स्कूल कॉलेज मैं कही पर भी चार लड़के या लड़कियां खड़े है या बैठे है तो चारो के मोबाइल खुले रहते है चारो एक दूसरे की तरफ देखते तक नही है और चारों what’s app और किसी भी तरह उसी मोबाइल से सोशल मीडिया से चिपके रहते है यानी चारों लोग किसी से कोई बात कोई हसीं मज़ाक नही करते है और पूरी तरह सोशल मीडिया के द्वारा ही बात करते है

इसका सीधा सा अर्थ है कि मैं तो एक डॉक्टर भी हूँ और बहुत अच्छी प्रैक्टिस भी है और अनुभव भी की जब तक आप खुल कर सबके बीच मैं बोलेंगे नही और किसी से बात नही करेंगे तो आपका मानसिक विकास ठीक से नही हो पायेगा और आप कुंठित अवस्था मे जा सकते है

और हद तो तब हो जाती है कि जब 3 से 4 साल के बच्चो को माएँ मोबाइल मैं गेम लगाकर हाथ मे पकड़ा देती है तो शायद सब लोग सुन कर दंग रह जाएंगे कि की एक ब्लू लाइट निकलती है मोबाइल स्क्रीन से और उससे बच्चे की आँखें शुरू से ही कमजोर होने लगती है

अब बारी आती है बुजुर्गो की तो वे तो मोबाइल अधिक छूते ही नही है फिर भी उन पर दुष्प्रभाव क्यो पड़ता है उन पर दुष्प्रभाव जानकर आपकी आँखों मे आसूं आ जाएंगे क्योंकि आप यानी चित्रांशी हम सब इस धरती की सबसे बुद्धिमान जाति के है सबसे अधिक राजे राजवाड़े भी आप मैं से हुए है खैर यह तो अलग टॉपिक है बुजुर्ग बिचारे आज एकदम अकेले पड़ गए गए है उनसे बोलने वाला कोई नही रह गया है वे अकेले आखों मैं ममता के आंसू भरे चुपचाप अपने बच्चो को नाती नातियों को पोते पोतियों को देख कर खुश हो जाते है और बेचारे धीरे धीरे अपनी स्मरण शक्ति को भी खोते जा रहे है कारण यही मोबाइल और इसका सोशल मीडिया है

अब आया युवाओ का आर्थिक नुकसान तो जो युवा बिचारे किसी तरह जुगाड़ कर कर सरकारी नौकरी पा गए तो ठीक नही तो प्राइवेट कर ली किसी भी तरह जो भी सैलरी मैं और फिर 1000 रूपए तो कम से कम इस सोशल मीडिया पर मंथली जाने ही जाने है लेकिन जो बिचारे युवा कुछ नही कर रहे है तो उनको तो सबका देखना होता है तो आर्थिक रूप से युवा बहुत परेशान चल रहे है और अब शारीरिक परेशानी क्या होती है सोशल मीडिया से तो आजकल युवा लगातार इसी से चिपके रहते है रात 3 3 बजे तक लिखापढ़ी का आदान प्रदान होता रहता है जिससे नींद नही आती है सुबह देर से नींद खुलती है और शरीर दिन पर दिन क्रेशकाय हो रहा है पेट खराब रहता है रात मैं समय पर सोते नही है चिड़चिडा पन और बेचैनी उलझन भी होती है

आप सबको कहना चाहता हूं कि इस सोशल मीडिया नामक गंदी बीमारी से एकदम दूर रहे और अपने परिवार से जुड़े दोस्तो से जुड़े दिमागी आर्थिक और शारीरिक रूप से सम्पन्न बने और राष्ट्र निर्माण मैं सारे युवा बढ़ चढ़ कर हिस्सा ले यही आप सबसे कामना है आप लोगो से निवेदन है प्रिंटिंग की गलती के लिए क्षमाप्रार्थी हूँ ।


15. चित्रांशी अंशु श्रीवास्तव, जांजगीर (छ.ग.)

मनुष्य अपने विचारों के आदान प्रदान करने के लिए विभिन्न प्रकार के जनसंचार माध्यमों का उपयोग करता है। पहले चिठ्ठी, रेडियो, टीवी, टेलीग्राम इत्यादि द्वारा अपने विचार प्रेषित किए जाते थे , परंतु अब इंटरनेट ने इसकी जगह ले ली है। इसमें सोशल मीडिया ने पूरी दुनिया को अपना दीवाना बना लिया है।

आज बच्चे, बूढ़े, युवा सभी इसमें इतने व्यस्त रहते हैं कि उन्हें किसी के लिए समय ही नहीं है। इनका प्रयोग इतना बढ़ता जा रहा है कि यह एक दुष्प्रभाव के रूप में अब हमारे सामने उपस्थित हो रहा है।

बच्चे इनका अनावश्यक रूप से प्रयोग करके आपराधिक प्रवत्ति के हो रहे हैं। अपना बचपन भूल रहे हैं, तथा उनकी आंखें खराब हो रही हैं, तथा असमय ही चश्मे का उपयोग कर रहे हैं।

युवा वर्ग भी इनका अनावश्यक प्रयोग करके अपने निजी व सामाजिक जीवन में जहर घोल रहा है। अपने रिश्तों के लिए उनके पास समय ही नहीं है।

इनके अतिरिक्त बूढ़े भी इस नई टेक्नोलॉजी का उपयोग करके आनंद प्राप्त कर रहे हैं। वे भी अपना समय व्यतीत करने के लिए सोशल मीडिया में बने रहते हैं। अब परिवार में सभी अपने मोबाइल में व्यस्त रहते हैं। बातचीत करने का समय उनके पास नही रहता।

इस प्रकार हम कह सकते हैं कि जितना ही सोशल मीडिया ने हमारे जीवन को सरल, सुगम एवं आसान बना दिया है,उससे कहीं अधिक इसकी वजह से बीमारियां,आलस्य,अपराध इत्यादि भी पनप रहे हैं। अतः हमे समय रहते सोशल मीडिया में अपनी निर्भरता को कम करके इसका सही उपयोग करना चाहिए।


16. श्रीमती मीनू राजेश शर्मा रायपुर (छत्तीसगढ़)

सोशल मीडिया के प्रभाव या दुष्प्रभाव जानने से पहले हम जान लेते हैं कि सोशल मीडिया क्या है।
सोशल मीडिया एक इंटरनेट सेवाएं है जो हमारी कोई भी इंफॉर्मेशन को एक जगह से दूसरे जगह अपने इंटरनेट टेक्नोलॉजी के माध्यम से पहुंचाती है। सोशल मीडिया का हमारे सामाजिक जीवन में सकारात्मक और नकरात्मक दोनों प्रभाव पड़ता है।

पर आज के समय में हर के पास स्मार्टफोन है और हर कोई उसमें फेसबुक व्हाट्सएप और इंटरनेट चलाता है।आज के लोग सोशल मीडिया से इस क़दर जूड़े है कि ओ अपना दिन चर्या भुल सकते हैं पर सोशल मीडिया नहीं भुल सकते दिन भर मोबाइल फोन आन लाइन रहने के कारण हमारे आंखों पर हमारे दिमाग पर याददाश्त में सब पर दुष्प्रभाव पढ़ रहा है और हम बहुत सी बिमारियों से घिर जाते हैं।

आज सोशल मीडिया के जरिए कोई भी बात बहुत तेजी से फैलता है। जिसका बहुत से लोग नकरात्मक तरीके से फायदा उठाते हैं जैसे कोई भी झूठे अफवाह को फैलाना किसी भी बातों को तोड़ मरोड़ कर पेश करना। बहुत लोग तो भड़काऊ संदेश भेजते हैं। जिससे बहुत लोगों की मानसिकता बिगड़ जाती है।कई लोग तो उस भड़काऊ संदेश में आके घिनौना अपराध भी कर बैठते हैं।किसी भी समुदाय विशेष लोगों के खिलाफ भड़काऊ शब्दों का प्रयोग करना तो सोशल मीडिया पर आम बात है। लेकिन इन सब बातों का हम पे हमारे युवा पीढ़ी पर या समाज पर कितना गलत प्रभाव पड़ रहा है। इससे एक दुसरे के प्रति घृणा पैदा करने का और बांटने का काम कर रहे हैं। अगर ऐसा ही चलता रहा तो स्थिति भयानक रूप ले सकती है इसके लिए सरकार को कोई ठोस कदम उठाना चाहिए।

हम आज सोशल मीडिया में इतना डूबे हुए रहते हैं कि अपने आस पड़ोस परिवार सब से दूर होते जा रहे हैं। इंटरनेट दुर बैठे लोगों से जोड़ता है और हम आस पास पड़ोस परिवार से ही ताल्लुक नहीं रखते है। सोशल मीडिया के कारण आज युवा पीढ़ी मैं अपराध भी बढ़ रहा है जैसे फोटो विडियो को एडिट करके भ्रम फैला सकते हैं जिससे कई दंगे हों सकते हैं। साईबर अपराध है और भी है जैसे किसी का नम्बर एडिट कर के अश्लील वीडियो या फोटो भेजना ऐसे बहुत से अपराध है। आज के युवा पीढ़ी सब फिल्मी और इंटरनेट देखकर सब अपराध को करते हैं।

इसलिए सरकार को दुनिया के साथ डिजिटल क्रांति के शिखर वेब और भारत के माध्यम से तेज़ी से जुड़ाव होने के कारण साइबर सुरक्षा कानून या साइबर नीति को स्थापित करना चाहिए। हमें हर जगह चाहें वो सोशल मीडिया हो या दैनिक जीवन में सकारात्मक और नकरात्मक दोनों ही चीजें मिलता है हमें सकारात्मक सोच की ओर ही जाना चाहिए और सकारात्मक सोच रखना चाहिए। यही मेरा सबसे प्रार्थना है।



भगवान श्री चित्रगुप्त लेखन कला मंच संयोजन मण्डल

चित्रांश किरण कुमार खरे
दमोह
“संस्थापक”
9893788695
चित्रांश नरेंद्र श्रीवास्तव
नीमच
“राष्ट्रीय संयोजक”
9425975525
चित्रांश राघवेंद्ररविश राय गौड़ मंदसौर
“राष्ट्रीय सहसंयोजक”
(युवा प्रकोष्ठ)
7828950200
चित्रांश मनीष निगम
इंदौर
“राष्ट्रीय सह-संयोजक”
9827059128
डॉ गोविंद नारायण
श्रीवास्तव रीवा
“राष्ट्रीय सह-संयोजक”
9407061724
चित्रांश संदीप निगम
देवास
“आईटी प्रभारी”
9826423377

विशेष सूचना : श्री चित्रगुप्त लेखन कला मंच संयोजन श्री चित्रगुप्त शोध चिंतन एवं मंत्र लेखन संस्था भारत प्रेषित की गई
किसी रचना की भाषा की त्रुटि, संकलन की त्रुटि या रचना से संबंधित विवाद हेतु जवाबदार नहीं होगा, किसी भी तरह के विवाद हेतु हमे भेजने वाला सदस्य ही जवाबदार होगा – श्री चित्रगुप्त लेखन कला मंच संयोजन एवं श्री चित्रगुप्त शोध चिंतन एवं मंत्र लेखन


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