भगवान श्री चित्रगुप्त लेखन कला मंच द्वारा जनवरी 2023 मे आमंत्रित लेख शीर्षक “भगवान चित्रगुप्त क्यों सभी मनुष्य जाति के भगवान हैं” मे प्रेषित लेख इस प्रकार हैं । यदि कोई भी लेख कही से Copy किया गया होगा तो उसके लिए लेखक स्वयं जवाबदार हैं ।
लेखन कला मंच जनवरी 2023 मे प्राप्त लेख
- 1. चित्रांशी अर्चना सक्सेना अजमेर (राज.)
- 2. चित्रांशी सुषमा सिन्हा, वाराणसी (उ.प्र.)
- 3. चित्रांश हेमन्त सक्सेना शाजापुर (म.प्र.)
- 4. चित्रांशी साधना श्रीवास्तव छतरपुर (म.प्र.)
- 5. चित्रांश आनन्द निगम, इन्दौर (म.प्र.)
- 6. चित्रांश सहेन्द्र श्रीवास्तव जबलपुर (म.प्र)
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1. चित्रांशी अर्चना सक्सेना अजमेर (राज.)
भगवान चित्रगुप्त जी सभी मनुष्य जाति के भगवान है । जब यमराज जी को सृष्टि के संचालन में दिक्कतों का सामना करना पड़ा कि वो किसे स्वर्ग में भेजे किसे नर्क में भेजे, किसके पुण्य व पाप का हिसाब क्या है? इस तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा था तो उन्होंने अपनी समस्या के निदान हेतु ब्रह्मा जी से प्रार्थना की तब ब्रह्मा जी ने 11000 वर्षों तक तपस्या की जिससे उनके चित्त से भगवान प्रकट हुए जिन्हे चित्रगुप्त नाम दिया गया ।ब्रह्मा जी ने उन्हे न्याय का देवता नियुक्त किया जो संसार के सभी मनुष्य का और उनके कर्मो का लेखा जोखा लिखने तथा कर्मो के अनुसार न्याय करने का कार्य सौंपा गया। जिसके अनुसार प्रत्येक प्राणी जिसका जन्म हुआ है भगवान चित्रगुप्त जी उनके कर्मो के अनुसार उन्हें नर्क व स्वर्ग का द्वार दिखा सकें।
इसीलिए भगवान चित्रगुप्त जी को न्याय के देवता धर्मराज श्री चित्रगुप्त कहा जाता है।
भगवान चित्रगुप्त जी संसार के प्रत्येक प्राणी के न्याय के देवता है। कायस्थो के वो कुलदेवता है क्योंकि काया से उत्पन्न कायस्थ चित्रगुप्त जी के12 पुत्र उनकी संतान है। हमारे कुल देवता है।
धर्मराज भगवान चित्रगुप्त जी की जय
2. चित्रांशी सुषमा सिन्हा, वाराणसी (उ.प्र.)
ओम श्री चित्रगुप्ताए नमः
प्रत्येक मानव को ईश्वर ने विवेक के साथ-साथ, उसके अंदर दानवऔर देव दोनों का स्वभाव देकर स्वतंत्र कर दिया है। यह मनुष्य के ऊपर निर्भर करता है की, वह किसे जगाता है और किसे सुसुप्त रखता है। यदि ऐसा ना होता तो, कोई ऋषि संत महात्मा ,तो कोई डाकू अत्याचारी ना होता! एक समय था, जब मनुष्य ईश्वर से डरता था और पाप करने से घबराता था, क्योंकि जानता था कि हम भगवान कि निगाहों में हैं, मगर आज! सीसीटीवी के बाद भी चारों तरफ पाप ,अत्याचार बढ़ता जा रहा है, क्योंकि मनुष्य के अंदर से डर जाता रहा है । पाप करने की प्रवृत्ति बढ़ती जा रही है। पाप पुण्य कोई धर्म संप्रदाय या जाति से संबंध नहीं रखता । प्रत्येक मनुष्य के अंदर यह मौजूद है।
श्री कृष्ण ने कहा है” ,ईश्वर भी नियम से बंधे हुए हैं ।”
प्रत्येक ईश्वर को किसी ना किसी कार्य की विशिष्टता के लिए जाना जाता है।
ईश्वर एक हैं, लेकिन उनका स्वरूप अलग_ अलग है।
यदि त्रिदेव अपने-अपने कार्य न करें तो प्रकृति में असंतुलन हो जाए ।
भगवान चित्रगुप्त हर मनुष्य के पापों का लेखा-जोखा रखने वाले ईश्वर हैं। मनुष्य हर पल पाप_ पुण्य के चक्रव्यूह में लगा रहता है।हमारे पाप_ पुण्य ,का लेखा_ जोखा भगवान चित्रगुप्त रखते हैं।
ब्रह्मा जी के 16 मानस पुत्रों में से एक,भगवान चित्रगुप्त को माना गया है।
चार वर्णों को बनाने के बाद, यमराज ने सभी मनुष्यों के विवरण की बात जब कही, तब ब्रह्मा जी की तपस्या से चित्रगुप्त भगवान उत्पन्न हुए। उनका नामकरण ब्रह्म जी ने चित्रगुप्त इसलिए किया की, वो ब्रह्मा जी के चित्त में गुप्त रूप से निवास कर रहे थे। पुस्तक कलम दवात लेकर वह ब्रह्मा जी के सामने उपस्थित हुए। ब्रह्मा जी ने ही कहा है कि प्रत्येक प्राणी की काया में गुप्त रूप से निवास करना और सुकर्म एवं कुकर्म का लेखा-जोखा रख ,उसी अनुसार दंड और उपहार का निर्णय करना।
अतः देखा जाए तो प्रत्येक मनुष्य के लिए ब्रह्मा जी ने ऐसा कहा।
इसी कारण चित्रगुप्त की पूजा सभी मनुष्यों के लिए अनिवार्य है।चित्रगुप्त की काया से कायस्थों की उत्पत्ति हुई, इसलिए कायस्थों के लिए भगवान चित्रगुप्त इष्ट देव माने जाते हैं ,परंतु पाप_ पुण्य कोई जाति ,धर्म, मजहब से संबंध नहीं रखता !
हर प्राणी के साथ उसका संबंध है अतः हर प्राणी को चित्रगुप्त की पूजा करनी चाहिए।
पर आश्चर्य की बात है कि चित्रगुप्त पूजन वार्षिक त्यौहार की तरह , एक दिन मना कर इतिश्री कर दिया जाता है। जबकि उनकी पूजा तो प्रतिदिन होनी चाहिए। हम उनके समक्ष रहेंगे तो, हमारे अंदर खुद यह भाव जागेगा कि हमारे पाप_ पुण्य का, लेखा_ जोखा करने वाले हमारे अंदर भी हैं और बाहर भी हैं।
वह सब कुछ देख रहे हैं।
ऐसे तो कहा जाता है कि ईश्वर सब जगह है, तो फिर मंदिर या मूरत की पूजा करने की क्या जरूरत है !जैसे की हवा तो धूप में भी है मगर छांव में जाने पर ही हमें शीतलता प्राप्त होती है ,ठीक उसी तरह से यदि हम प्रतिदिन ईश्वर को अपने समक्ष रखेंगे और उनकी पूजा ,आराधना करेंगे, अपनी गलतियों के लिए क्षमा याचना करेंगे ,हम उतना ही पवित्र होते जाएंगे।
जैसे यदि हर वक्त मनुष्य मौत को ध्यान में रखे, तो वह कोई कुकर्म नहीं कर सकता, ठीक उसी तरह से यदि हम भगवान चित्रगुप्त को अपने अंदर और बाहर दोनों रखें, और उनकी आराधना करते रहे, तो निश्चय ही हम धीरे-धीरे ही सही लेकिन गलत कामों से बचते रहेंगे।
सारांश तौर पर कह सकते हैं कि इस पृथ्वी पर हर मनुष्य अच्छा बुरा कर्म करता रहता है ,यदि पाप पुण्य का लेखा जोखा ना हो तो स्वर्ग और नरक में असंतुलन की स्थिति हो जाए ।
भगवान चित्रगुप्त पूरे मनुष्य जाति के भगवान हैं । इनकी नित्य पूजन करनी चाहिए।
3. चित्रांश हेमन्त सक्सेना शाजापुर (म.प्र.)
परम पूज्य भगवान श्री चित्रगुप्त जी हम कायस्थों के ही नहीं बल्कि समस्त मानव जाती के कल्याण करते है सभी मानव के कर्मो के अनुसार उन्हें स्वर्ग में उचित स्थान प्रदान करते है इसी कारण श्री चित्रगुप्त जी सभी मानव जाति के पूजनीय भगवान माने जाते है
धन्यवाद
4. चित्रांशी साधना श्रीवास्तव छतरपुर (म.प्र.)
भगवान श्री चित्रगुप्त जी क्यो सभी मनुष्य जाति के भगवान है
- 1. क्योकि श्री चित्रगुप्त जी सभी मनुष्य जाति के अच्छे एवं बुरे कार्य का हिसाब रखते है किसी जाति विशेष का नही ।
- 2. क्योकि श्री चित्रगुप्त जी सृष्टी के रचयिता श्री ब्रम्हा जी की काया से उत्पन्न हुए है जिन्है सभी मनुष्य जाति के कार्य का हिसाब रखना है किसी जाति विशेष का नही ।
- 3. श्री चित्रगुप्त जी के हाथ में कलम दवात है जो शिक्षा ज्ञान एवं उन्नतिशीलता का प्रतीक है जिसे प्रत्येक मनुष्य पाना चाहेगा कोई एक जाति का नही ।
5. चित्रांश आनन्द निगम, इन्दौर (म.प्र.)
“भगवान श्री चित्रगुप्तजी क्यों सभी मनुष्य जाति के भगवान हैं” भगवान श्री चित्रगुप्त सम्पूर्ण मानवजाति के भगवान हैं क्योंकि वो इस नश्वर संसार में आए हर प्राणी का उसके कर्मों के अनुसार फल देते हैं। अर्थात कर्मों के निर्धारण में जाति,धर्म,भाषा, क्षेत्र,अमीर,गरीब सभी का वो कल्याण करते हैं। इस प्रकार भगवान चित्रगुप्त सभी के लिए पूजनीय हैं और जाति धर्म विशेष के सीमित दायरे से पूर्णतः मुक्त हैं। हमारे लिए यह एक बहुत ही गर्व का विषय है कि हमारे आराध्य भगवान श्री चित्रगुप्त संसार का कल्याण करने वाले देवता हैं जो जाति धर्म की संकीर्ण विचाधारा से परे हैं। अपने भक्तों पर उनका आशीष सदा बना रहता है जिससे जीवन के कठिन दौर में भी व्यक्ति विवेकपूर्ण व्यवहार और उचित निर्णय लेने की अपनी क्षमता को कायम रखने में सफल हो पाता है। भगवान श्री चित्रगुप्त के चरणों में श्रद्धापूर्वक नमन करते हुए में अपनी कलम को विराम देता हूं। जय चित्रांश
6. चित्रांश सहेन्द्र श्रीवास्तव जबलपुर (म.प्र)
श्री चित्रगुप्त जी भगवान कायस्थ समाज के ही नहीं अपितु समस्त मानव जाति के भगवान है
जो कि प्रत्येक व्यक्ति का लेखा जोखा का कार्य श्री चित्रगुप्त जी करते हैं मनुष्य के कर्मों के ही फल का हिसाब आपके पास है
श्राद्ध पक्ष में 15 दिन तर्पण में भी श्री चित्रगुप्त जी के नाम से भी तर्पण किया जाता है सम्पूर्ण जगत मे मनुष्य के श्री चित्रगुप्त भगवान है।
भगवान श्री चित्रगुप्त लेखन कला मंच संयोजन मण्डल
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“ॐ यमाय धर्मराजाय श्री चित्रगुप्ताय वै नमः”
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