आलोट मध्यप्रदेश में स्थित अन्नपूर्णा माता जिन भी निगम परिवार की कुलदेवी हैं उनके गौरथ देने की विधि
गोरथ क्या होता हैं
अपनी कुलदेवी और देव पूर्वजों की पूजा करना और साथ में रात्रि जागरण करना अगले दिन 7 सुहासिनी को भोजन कर स्वयं ने भोजन करना इस प्रक्रिया को गौरथ देना कहा जाता हैं।
गौरथ कब देना होता हैं
एक व्यक्ति के लिए जीवन में दो बार माताजी को गौरथ देना होता हैं
1. पुत्र जन्म के बाद (जन्म)
जब भी आपके यहां पर पुत्र की प्राप्ति हो तब आपको गौरथ देना होता हैं।
2. शादी के बाद (परण)
आपके यहां जब भी पुत्र की शादी होगी उसके बाद भी आपको गोरथ देना होता हैं
गौरथ देने का समय
यह साल में दो बार होता हैं
- कार्तिक महीने में 5 दिन रहता हैं
- बैसाख माह में पंद्रह दिन यानि उजाली पक्ष मे रहता हैं
गौरथ देने के नियम
- 1. जब भी आपका गौरथ देना हो आपको आलोट में जहा अपनी माता जी हैं उनसे समय लेना होगा, यदि उस दिन किसी और की बुकिंग नही हैं तो आपको गौरथ देने की परमिशन मिल जाएगी
- 2. एक गौराथ में एक पाठ लगाना होता हैं और 7 सुहासिनी लगती हैं, आप यदि एक साथ 2 गौरथ दे रहे हैं तब आपको 14 सुहासिनी लगेगी
- 3. एक साथ जन्म और शादी का गौरथ नही दे सकते हैं
- 4. गौरथ के सुहासिनी केवल कुटुंब की ही मान्य होती हैं,
- 5. एक ही परिवार के सुहासिनी में नही बैठ सकते हैं
- 6. काला और नीले रंग के कपड़े पहन कर माताजी को नही देख सकते हैं
- 7. माताजी के कमरे में मुंह झूठा नही करते हैं केवल जब सुहासिनी को प्रसाद देते हैं वह ही वहाँ पर बैठ कर खा सकते हैं ,
- 8. प्रसाद खुद को ग्रहण करनी होती हैं कुटुम्ब के बाहर के व्यक्तियों को नही देनी हैं
- 9. वैसे जो माता पिता द्वारा जन्म का गौरथ देना होता हैं लेकिन किसी कारणवश यदि माता पिता गौरथ न दे पाए हो तो स्वयं भी जन्म का गौरथ दे सकते हैं, केवल अपने ही कुटुंब के बड़े लोगो को माता पिता मानकर , बनाए हुवे माता पिता आपके साथ बैठकर पूजा कर सकते हैं
गौरथ की प्रकिया
- 1. गौरथ जिस दिन भी देना हो उसके एक दिन पहले से तैयारी करना होती हैं .
- 2. एक दिन पहले शाम को पाट तैयार कर दीप जलाने होते हैं, अगले दिन सुबह पूजन कर धूप दे कर सुहासिनी को भोजन करने के बाद सारी सामग्री के भंडारण तक की प्रक्रिया होती हैं
- 3. गीत गाने का बुलावा देना होता हैं
- 4. उसके बाद शाम को पाठ लगाना होता हैं
- 5. पाट पर ज्योति जलाना होती हैं जो रातभर और अगले दिन तक सुहासिनी के भोजन करने तक जलना चाहिए
- 6. अगले दिन सुबह पूजा कर सुहासिनी की भोजन कराना होता हैं
- 7. सुहासिनी के भोजन करने के बाद गौराथ पूर्ण होता हैं
- 8. उसके बाद पूजन संबंधित सामग्री को जमीन में उबार देते हैं
- ।9. दीपक राज होने तक (बुझने तक) आपको इंतजार करना होता हैं, दीपक को बुझाना नही हैं, अपने आप ही राज (बुझना) चाहिए
पाट जमाने के विधि
- 1. सबसे पहले माताजी के कमरे को साफ किया जाता हैं
- 2. उसके बाद जितने गौरथ दिए जाने होते हैं उतने पाट लगाने होते हैं
- 3. एक पाठ पर उल्टे हाथ पर सफेद कपड़ा और सीधे हाथ की ओर लाल कपड़ा बिछाना होगा
- 4. सफेद कपड़ा देव पूर्वज के लिए होता हैं
- 5. लाल कपड़ा माताजी के लिए होता हैं
- 6. सफेद कपड़े पर चावल का गोला बनाना हैं
- 7. लाल कपड़े पर गेहूं का गोला बनाना होता हैं
- 8. जो चावल का गोला बनाया हैं उस सबसे बाहर आधे गोले में 9 खारक जमाना होगी
- 9. उसके बाद आधे राउंड में सुपारी जमाना होगी
- 10. उसके अंदर के गोले में 9 बादाम और 9 दाग
- 11. उसके बाद 9 लौंग और 9 इलायची जमाना हैं
- 12. दोनो कपड़े पर एक एक पान का पत्ता रखना हैं
- 13. पान के पत्ते पर एक एक नारियल रखना हैं
- 14. दोनो नारियल पर प्रत्येक पर 11 रुपए रखना हैं
- 15. दोनो कपड़ो पर एक माचिस की काड़ी में रुई लगाकर इत्र लगा कर रखते हैं
- 16. दोनो कपड़ो पर एक नाड़ा रखना होता हैं
- 17. केवल सफेद कपड़े पर जनेऊ रखना होती हैं
गौरथ की सुबह की पूजन विधि
- 1. थूली चावल की 9 पत्तल लगानी होती हैं
- 2. उनको आधी एक के उप्पर इस तरह से जमानी होती हैं की सभी पर रखे चावल और थूली एक लाइन में हो
- 3. इसके बाद कंकू हल्दी से पूजन करना हैं
- 4. फिर घी की धार बनाकर सात राउंड चावल और थूली पर निरंतर धार गिराना हैं
- 5. पत्तल एम थूली माताजी की ओर रखते हैं और चावल अपनी ओर
- 6. जो घी की धार हैं वह सभी पत्तलों के चावल से होकर थूली पर फिर चावल पट फिर थूली पर इस सात बार कर थूली पर समाप्ति करना हैं
- 7. इस के बाद सभी पत्तल में ए थोड़े थोड़े थूली चावल निकालना हैं
- 8. इसके बाद धूप देना हैं जिसमे पूजन करने वाले को पांच पांच बार थूली चावल से धूप देना हैं
- 9. फिर नारियल बदारना हैं
- 10. उसके बाद आरती करना हैं
- 11. इसके बाद परिवार के अन्य सदस्य भी धूप दे सकते हैं माताजी के पैर पड़ सकते हैं
- 12. अब इसके बार सुहासिनी को खाना खिलाना हैं, सुहासिनी के खाने के बाद ही परिवार के अन्य व्यक्ति खाना खा सकते हैं
- 13. जब तक सुहासिनी खाना न खाले तब तक किसी को भी अपना मुंह झूठा नही करना हैं, हा चाय पी सकते हैं
भंडारने की विधि
- 1. सबसे पहले डेढ़ बाय डेढ़ फीट का एक फीट गहरा गड्ढा करना होगा
- 2. गड्डे में एक हिस्सा थोड़ा गहरा और एक थोड़ा ऊंचा होना चाहिए
- 3. ऊंचे हिस्से पर दिए और पूजन सामग्री रखी जाती हैं
- 4. नीचे हिस्से पर जी भी प्रसाद और खाने से संबंधित बची सामग्री रखी जाती हैं
- 5. यदि पत्तल प्लास्टिक वाली हैं तो उन्हें जला कर उसकी राख को भी इसमें रख सकते हैं
- 6. जो भी हाथ धोने का पानी हैं उसे भी इसमें ही डालना होता हैं
- 7. इसके बाद गड्डे को मिट्टी से भरना होगा
पूजन के लिए थाली जमाने की विधि
- 1. एक साफ थाली में कंकू हल्दी चावल नाड़ा जनेऊ आदि रखे
- 2. एक पान का पत्ता भी रखे जिस पर कपूर रखना हैं, पान के पत्ते के अभाव में चावल रख सकते हैं
- 3. फूल रखे (फूल की मात्रा कम रखे क्युकी इन्हे भी भंडारना होता हैं जितने कम हों उतनी आसानी से भंडारण होगा
- 4. थाली में 11,21,51 रुपए अपनी इच्छा अनुसार रखे
- 5. पानी का एक लौटा
पूजन की विधि
- 1. सबसे पहले अपने सिर पर रूमाल आदि ढकना हैं
- 2. उसके बाद एक फूल लेकर उसमे कंकू हल्दी लगाकर चावल और गेहूं पर लगाना हैं जो पाट पर बिछे हैं
- 3. फिर दोनो दीपक का पूजन करना यानी की उस पर कंकू लगाना हैं
- 4. फिर जनेऊ चढ़ना हैं
- 5. फिर एक एक फूल सभी जगह रखना हैं
- 6. पान पर नारियल रखना हैं
- 7. नारियल पर 11,21,51 आदि रखना हैं
- 8. दीप जलाने हैं
- 9. अगरबत्ती लगानी हैं
- 10. अब कपूर जलाकर आरती करना हैं
- 11. आरती के समय जो भी माताजी से बोलना हैं वह बोल कर और किस लिए गौरथ दिया वह माताजी से बोलना चाहिए
- 12. आरती माताजी दो देना हैं उसके बाद सभी को आरती देवे
- 13. सभी बड़ो के पैर छुना हैं
- 14. अपने मस्तक पर कंकू आदि नही लगाना हैं क्युकी बाहर का कोई भी व्यक्ति पूजन और प्रसाद से संबंधित सामग्री नही देख सकते
पूजन सामग्री की सूची
लाल कपड़ा | 1 मी. |
सफेद कपड़ा | 1 मी. |
गेहू | 2 किलो |
चावल | 1 किलो |
पूजा के पान | 3 नग |
नारियल | 8 नग |
खारक | 36 नग |
पूरी बादाम | 36 नग |
सुपारी | 36 नग |
हरी इलायची | 36 नग |
लोंग | 36 नग |
चारोली | 36 नग |
दाग | 36 नग |
जनेऊ | 2 नग |
नाड़ा | 3 नग |
कंकु | थोड़ा |
हल्दी | थोड़ी |
मेहंदी | 1/2 किलो |
इत्र | 1 शीशी |
अगरबत्ती | 1 पैकेट |
कपूर | 1 डब्बी |
माचिस | 1 पैकेट |
पतासे | 2 किलो |
फूल | थोड़े |
पाट लगते समय गाये जाने वाले भजन
- पूर्वज आओ मेरे अंगना
- मेरी सती माता करो श्रंगार
- पवन उड़ा कर ले गई रे मेरी माँ की चुनरिया
- चलो चलो रे भवानी
- लाज मेरी रखो बिजासन मैया
FAQ अधिकतर पूछे जाने वाले प्रश्न
Q. एक साथ हम कितने गौरथ दे सकते हैं?
एक साथ हम अधिकतम 2 व्यक्तियों के गौरथ दे सकते हैं
Q. सुहासिनी मे कुटुंब के अलावा भी किसी को भोजन करा सकते हैं ?
नहीं, केवल कुटुंब के व्यक्तियों को ही सुहासिनी मे भोजन करा सकते हैं
Q. माताजी के पाट के सामने 9 पत्तल लगाई जाती हैं 7 तो सुहासिनी की होती हैं अन्य दो किस लिए होती हैं ?
अन्य दो पत्तले बच्चों के लिए होती हैं , लेकिन लड़के ही होना चाहिए , जिनकी शादी नहीं हुई हैं उनको भी इस पत्तल मे भोजन करा सकते हैं ।
दिनांक 09.05.2022 को घर के बड़े बुजुर्गो से प्राप्त जानकारी के अनुसार उपरोक्त जानकारी लिखी हैं, यदि आपको लगता हैं की इसमें कोई सुधार हैं तो आप जरूर बताएं
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