भगवान श्री चित्रगुप्त जी आरती

आरती श्री चित्रगुप्त प्रभाकी।
ज्ञान शारदा काल विभाकी।।

चित्र महीना चित्र पूर्णिमा।
नक्षत्र चित्रा में आए प्रभू।।
रूप चतुर्भुज श्यामल सूरत।
ब्रम्हपुत्र श्री धर्महरी की।।
आरती श्री चित्रगुप्त …….

एक बांह में लेखनी धारत।
दूजे बांह मसि भाजन वारत।।
तीजे बाजुहि पुस्तक साजत।
चोथे बांह दंड अस्त्र सभाकी।।
आरती श्री चित्रगुप्त …….

लेखनी मध्ये ज्ञान विराजत।
मसि मध्ये सरस्वती प्रकाशत।।
पुस्तक मध्ये कालहि साजत।
दंड अस्त्रे यमराज विधाकी।।
आरती श्री चित्रगुप्त …….

पाप पुण्य का भेद बतावत।
धर्म अधर्महि लेख करावत।।
स्वर्ग नर्क की राह दिखावत।
न्यायाईश महान विभाकी।।
आरती श्री चित्रगुप्त …….

भय अरू मृत्यु जगत में लावत।
सतपथ सदगति ज्ञान करावत।।
लेखन अच्छर वर्ण बतावत।
कायस्थ कुल कुलदीप प्रभाकी।।
आरती श्री चित्रगुप्त …….

।। प्रेम से बोलिए श्री चित्रगुप्त भगवान की जय ।।


भगवान श्री चित्रगुप्त जी आरती (2)

ॐ जय चित्रगुप्त हरे,
स्वामीजय चित्रगुप्त हरे ।
भक्तजनों के इच्छित,
फलको पूर्ण करे॥

विघ्न विनाशक मंगलकर्ता,
सन्तनसुखदायी ।
भक्तों के प्रतिपालक,
त्रिभुवनयश छायी ॥
॥ ॐ जय चित्रगुप्त हरे…॥

रूप चतुर्भुज, श्यामल मूरत,
पीताम्बरराजै ।
मातु इरावती, दक्षिणा,
वामअंग साजै ॥
॥ ॐ जय चित्रगुप्त हरे…॥

कष्ट निवारक, दुष्ट संहारक,
प्रभुअंतर्यामी ।
सृष्टि सम्हारन, जन दु:ख हारन,
प्रकटभये स्वामी ॥
॥ ॐ जय चित्रगुप्त हरे…॥

कलम, दवात, शंख, पत्रिका,
करमें अति सोहै ।
वैजयन्ती वनमाला,
त्रिभुवनमन मोहै ॥
॥ ॐ जय चित्रगुप्त हरे…॥

विश्व न्याय का कार्य सम्भाला,
ब्रम्हाहर्षाये ।
कोटि कोटि देवता तुम्हारे,
चरणनमें धाये ॥
॥ ॐ जय चित्रगुप्त हरे…॥

नृप सुदास अरू भीष्म पितामह,
यादतुम्हें कीन्हा ।
वेग, विलम्ब न कीन्हौं,
इच्छितफल दीन्हा ॥
॥ ॐ जय चित्रगुप्त हरे…॥

दारा, सुत, भगिनी,
सबअपने स्वास्थ के कर्ता ।
जाऊँ कहाँ शरण में किसकी,
तुमतज मैं भर्ता ॥
॥ ॐ जय चित्रगुप्त हरे…॥

बन्धु, पिता तुम स्वामी,
शरणगहूँ किसकी ।
तुम बिन और न दूजा,
आसकरूँ जिसकी ॥
॥ ॐ जय चित्रगुप्त हरे…॥

जो जन चित्रगुप्त जी की आरती,
प्रेम सहित गावैं ।
चौरासी से निश्चित छूटैं,
इच्छित फल पावैं ॥
॥ ॐ जय चित्रगुप्त हरे…॥

न्यायाधीश बैंकुंठ निवासी,
पापपुण्य लिखते ।
‘नानक’ शरण तिहारे,
आसन दूजी करते ॥

ॐ जय चित्रगुप्त हरे,
स्वामीजय चित्रगुप्त हरे ।
भक्तजनों के इच्छित,
फलको पूर्ण करे ॥

।। प्रेम से बोलिए श्री चित्रगुप्त भगवान की जय ।।


आभार – आरती Social Media से प्राप्त हुई हैं धन्यवाद् । किसी भी प्रकार की त्रुटि हो तो Comment करे ।आपके पास भी यदि भगवान श्री चित्रगुप्त जी की आरती या अन्य सामग्री हो तो कमेंट कर हमें भेजे ।

Leave a Comment