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Software खरीदने से पहले इन 4 बातों का रखे ध्यान

यदि आप कोई भी Software खरीदने जा रहे हैं या Customized Software बनवा रहे हैं तो यह आर्टिकल आपके लिए ही हैं

जब हम  Software खरीदने या बनवाने के लिए किसी कंपनी या किसी व्यक्ति से बात करते हैं तो कुछ Technical Terms हमें पता होनी चाहिए, क्युकी बात करते समय सॉफ्टवेयर कंपनी द्वारा हमसे बहुत सी बाते पूछी जाती हैं जिनमे से हमें बहुत सी बातो के बारे में जानकारी नहीं होती, इस आर्टिकल में हम निम्न पॉइंट कवर करेंगे

  • 1. Application के प्रकार
    • Desktop Application
    • Web Application
    • Mobile Application
  • 2. Type Of Package
    • Product Software
    • Customized Software
  • 3. Software Company से  क्या क्या जानकारी लेना चाहिए ?
  • 4. Software खरीदने से पहले हमें क्या क्या तैयारियां करना चाहिए ?

चलिए अब हम एक-एक करके सभी Terms को विस्तार से समझना शुरू करते हैं ।

1. Application के प्रकार 

Software खरीदने से पहले हमें यह निर्णय लेना होता हैं की जो हम एप्लीकेशन ले रहे हैं या बनवा रहे हैं उस पर ऑफलाइन वर्किंग करना चाहते हैं या ऑनलाइन या हम मोबाइल से भी वर्किंग करना चाहते हैं या सिर्फ मोबाइल से ही वर्क करना चाहते हैं

Desktop Application

यदि हमें सिर्फ ऑफलाइन ही कार्य करना हैं , हमारे पास हमेशा इंटरनेट Available नहीं हैं, या हम डाटा किसी और Safe Location पर भी अपना डाटा नहीं रखना चाहते तो Desktop एप्लीकेशन का सिलेक्शन करना चाहिए ।

  • Desktop एप्लीकेशन के फायदे 
    • फ़ास्ट होती हैं
    • सिस्टम चालू करने के बाद बिना इंटरनेट के हम इसे चला सकते हैं
    • सेफ और सिक्योर होती हैं
    • डाटा हमारी मशीन पर ही होता हैं इसलिए डाटा साइड से सिक्योरिटी होती हैं
    • किसी हार्डवेयर से कनेक्ट करने के लिए Desktop Software ही बनवाना होते हैं
  • Desktop एप्लीकेशन के नुकसान 
    • समय – समय पर डाटा का बैकअप लेना होता हैं यदि बैकअप नहीं लिया और कुछ इशू आ गया तो डाटा का नुकसान हो जाता हैं
    • हम अपनी मशीन पर ही Depend हो जाते हैं क्युकी सॉफ्टवेयर हमारी मशीन पर सेट होता हैं
    • मशीन फॉर्मेट होने के बाद सेटअप में कभी कभी बहुत समय लग जाता हैं ।

Web Application

वेब एप्लीकेशन के लिए हमें अपनी मशीन पर किसी भी प्रकार के सेटअप की आवश्यकता नहीं होती, हम जिनसे भी सॉफ्टवेयर बनवाते यह वह हमें एक शेयर्ड सर्वर या VPN पर सॉफ्टवेयर सेट करके दे देते हैं, हम इस एप्लीकेशन को कही से भी ऑपरेट कर सकते हैं, यह एप्लीकेशन डेस्कटॉप की तुलना में कॉस्टली होती हैं

  • Web Application के फायदे 
    • कही से भी ऑपरेट कर सकते हैं
    • किसी भी प्रकार का इंस्टॉलशं की समस्या नहीं होती
    • किसी भी सिस्टम की डिपेंडेंसी नहीं होती
    • हमारा सिस्टम फॉर्मेट भी हो जाये तो हम किसी और सिस्टम कर आसानी से कार्य कर सकते हैं
  • Web Application के नुकसान 
    • वेबपप्लिकेशन की स्पीड डेस्कटॉप की तुलना में कम होती हैं
    • हमेशा इंटरनेट की आवश्यता होती हैं
    • यदि हम ऐसी जगह हैं जाया पर इंटरनेट टावर काम मिलती हैं तो कार्य करने में बहुत समस्या आती हैं

Mobile Application

मोबाइल Application में Data का Flow दो तरीके से होता हैं ।

  • Connect With Web Application : इस एप्लीकेशन में Main एप्लीकेशन वेब वाली होती हैं और डाटा देखने या कुछ छोटे छोटे कार्यो के लिए मोबाइल एप्लीकेशन बना दी जाती हैं ।
  • Fully Mobile Application : इस टाइप की एप्लीकेशन में हमें डायरेक्ट मोबाइल एप्लीकेशन ही बना कर दी जाती हैं , यदि हम एक से अधिक मोबाइल पर चलना चाहते हैं और आपस में डाटा लिंक करने की जरुरत हो तो हमें ऑनलाइन मोबाइल एप्लीकेशन बना कर दी जाती हैं और यदि एप्लीकेशन सिंगल मोबाइल से ही सम्बंधित हैं तो हमें ऑफलाइन एप्लीकेशन बना कर दी जाती हैं

अब समझते हैं की मोबाइल Application के क्या फायदे और नुकसान हैं

  • Mobile Application के फायदे 
    • हमारे सॉफ्टवेयर से सम्बंधित कार्य मोबाइल पर ही हो जाते हैं
    • Computer की Dependency नहीं रहती
    • जब भी हम किसी का वेट कर रहे हो, यात्रा कर रहे हो,  तो समय का उपयोग करने के हिसाब से Application चला सकते हैं ,
    • कम ऑप्शन होने के कारण Fast चलती हैं
  • Mobile Application के नुकसान 
    • हमें मोबाइल का उपयोग कम करना चाहिए लेकिन इस टाइप की एप्लीकेशन होने से हम हमेशा मोबाइल में व्यस्त रहते हैं
    • यदि इंटरनेट की स्पीड कम हो तो लोड होने में बहुत समय लगता हैं
    • यदि ऑफलाइन एप्लीकेशन हैं तो डाटा का बार बार बैकअप लेना होता हैं यदि मोबाइल में कुछ इशू हुआ तो डाटा लोस्स होने के चांस रहते हैं
    • Web Application की तुलना में Costly होती हैं
    • किसी भी Mobile App में हमें कम से कम Option ही रखना होते हैं क्युकी मोबाइल स्क्रीन पर ज्यादा ऑप्शन नहीं दिखा सकते

उपरोक्त सभी बातो से आपको यह तो समझ में आ गया होगा की हमें किस टाइप का सॉफ्टवेयर खरीदना या बनवाना हैं आइये अब कम्पलीट सॉफ्टवेयर और कस्टमाइज सॉफ्टवेयर के बारे में समझते हैं

2. Type Of Package

किसी भी कंपनी के पास पहले से बने सॉफ्टवेयर होते हैं जो एक से ज्यादा कस्टमर के यहाँ पर चल रहे होते हैं , साथ में वह कंपनी यूजर की रेक्विरेमेंट के हिसाब से मॉडिफिकेशन भी कर देती हैं , या पूरी तरह से नए सॉफ्टवेयर भी बना देती हैं आइये हम प्रोडक्ट और कस्टमाइज के बारे में विस्तार से समझते हैं

Product Software / Packaged Software

कंपनी एक सॉफ्टवेयर बनाती हैं और उसे एक से अधिक कस्टमर को सेल करती हैं और जो कस्टमर के चेंज आते हैं वह उस सॉफ्टवेयर में Modify करती रहती हैं , इससे सॉफ्टवेयर में ऑप्शन बढ़ते जाते हैं और एक से ज्यादा कस्टमर के यहाँ चलने ने एरर फ्री भी होता जाता हैं । वैसे इन सॉफ्टवेयर की कीमत बहुत होती हैं लेकिन कीमत एक से अधिक कस्टमर होने के कारण विभाजित हो जाती हैं, इसलिए कंपनी हमें जितने ऑप्शन दे रही हैं उसके हिसाब से चार्जेज कम लेती हैं

Product Software की विशेषताएं

  • रेडी तो उसे होते हैं ( सॉफ्टवेयर पहले से बने होने के कारण राशि जमा करते ही सॉफ्टवेयर मिल जाते हैं
  • एरर फ्री होते हैं
  • बहुत लोगो के संपर्क में आने से बहुत से ऑप्शन ऐड हो चुके होते हैं
  • कीमत कस्टमाइज की तुलना में कम होती हैं
  • हम दूसरे के अनुभव का लाभ ले सकते हैं

Customized Software

यह Software हमारी Requirement पर बनाये जाते हैं , हमें बिज़नेस का पूरा Knowledge Developer को देना होता हैं तभी एक परफेक्ट सॉफ्टवेयर बनता हैं , हमारे हिसाब से सॉफ्टवेयर बनाने के कारण इनकी कीमत अधिक होती हैं ।

  • कस्टमाइज सॉफ्टवेयर की विशेषताएं
  • उतने ही ऑप्शन होते हैं जितने हमें चाहिए
  • हमारे हिसाब से प्रोसेस होती हैं इसलिए वर्किंग फ़ास्ट होती हैं
  • हमारा समय और श्रम दोनों ही सॉफ्टवेयर बनने के बाद बचता हैं
  • यदि हम प्रॉपर प्लानिंग करके सॉफ्टवेयर बनवाते हैं तो बाद में हमारा 70% समय बच जाता हैं

जब भी सॉफ्टवेयर ले अपने बिज़नेस के हिसाब से ही प्रोडक्ट चुने यदि प्रोडक्ट स्पेसिफिक बिज़नेस के लिए हो तो फर्स्ट प्रायोरिटी पर प्रोडक्ट ही लेना चाहिए लेकिन यदि प्रोडक्ट एक कॉमन सॉफ्टवेयर हो तो सोच समझ कर ही निर्णय लेना चाहिए

3. Software Company से क्या-क्या जानकारी लेना चाहिए ?

  • Company Background : Software खरीदने के लिए सबसे जरुरी यह जानना होता हैं की कंपनी कितनी पुरानी हैं और कितने सॉफ्टवेयर चल रहे हैं , कंपनी की सर्विस बहुत मायने रखती हैं , यदि हम कम कीमत में किसी नए बन्दे को काम दे देते हैं तो हो सकता हैं आगे हमें सपोर्ट न मिल पाए , यदि आप नए बन्दे से सॉफ्टवेयर की बात कर रहे हैं तो उसके सॉफ्टवेयर फील्ड के नॉलेज को अवश्य परखे, यहाँ पर में यह नहीं बोल रहा की पुरानी कंपनी से ही सॉफ्टवेयर ले हो सकता हैं पुरानी कंपनी के पास ज्यादा काम होने से वह कस्टमर को अच्छे से मांगे न
  • Support System : कंपनी के सपोर्ट सिस्टम को जरूर परखे में कुछ पॉइंट निचे दे रहा हु
    • सपोर्ट में कितने पर्सन हैं
    • क्या सपोर्ट वाले आपकी बातो को समझ पाते हैं
    • यदि किसी ने पहले से सॉफ्टवेयर लिया हो तो उनसे जरूर बात करे
    • सपोर्ट में बताई क्वेरी कितने दिनों में सोल्वे होती हैं
    • जरुरी नहीं की हर क्वेरी ही सोल्वे हो बस कंपनी तरफ से जस्टिफाई रिप्लाई मिलना चाहिए
  • ARC/AMC : लगभगहर कंपनी सॉफ्टवेयर देने के बाद हर साल हमसे एक नॉमिनल चार्ज लेती हैं , इस चार्ज के बारे में जानकारी जरूर ले
  • Correction Charges : प्रोडक्ट सॉफ्टवेयर रेडी होते हैं  यदि हम कुछ करेक्शन करना चाहते हैं तो वह कर पाएंगे की नहीं या करते हैं की नहीं यह जरूर पूछना चाहिए, कभी कभी कंपनी बेचते समय तो हा कर देती हैं और बाद में मना कर देती हैं , इसलिए पहले से कन्फर्म कर लेवे, कस्टमाइज्ड सॉफ्टवेयर के केस में भी 1 साल या 6 माह तक जैसा भी आपका एग्रीमेंट हुआ हो उस हिसाब से कार्य करती हैं उसके बाद फिर चार्जेज देना होते हैं
  • Firm Charges : बहुत सी एक से अधिक फर्म होने पर एक्स्ट्रा चार्जेज लेती हैं इसलिए इसके बारे में भी पूछ ले
  • Multiuser Charges : यदि आप एक से अधिक यूजर बनाना चाहते हैं तो भी कोई कोई कंपनी चार्जेज का बोल सकती हैं
  • Multilocation Charges : यदि आप डेस्कटॉप सॉफ्टवेयर को नेटवर्किंग के द्वारा चलना चाहते हैं तो आपको Multilocation चार्जेज देना होते हैं ।
  • Modification When Policy Change by Government  : जैसे की गोवत द्वारा कोई भी नया नियम आने से सॉफ्टवेयर में चंगेस आते हैं , उसके कोई कंपनी यदि छोटे चंगेस होते हैं तो फ्री में करती हैं लेकिन यदि बड़े चंगेस आते हैं तो उसका अलग से चार्ज लिया जाता हैं
  • Data Backup : सॉफ्टवेयर में बैकअप लेने के ऑप्शन है के नहीं, हम डाटा को एक्सपोर्ट करने के ऑप्शन हैं या नहीं
  • Agreement : कंपनी की टर्म्स और कंडीशन अच्छे से समझ ले और यदि कस्टमाइज सॉफ्टवेयर हैं तो एग्रीमेंट भी कर सकते हैं

4. Software खरीदने से पहले हमें क्या-क्या तैयारियां करना चाहिए ?

  • जो भी ऑप्शन चाहिए उनकी लिस्ट बना लेना चाहिए
  • एक चेक लिस्ट तैयार कर लेना चाहिए जो भी पॉइंट हमें कन्फर्म करना हो कंपनी से
  • एक पेपर पर जो भी चार्जेज फैसिलिटी कंपनी दे रही हैं वह नोट कर ले या उनसे ही लिखवा ले
  • अपनी फर्म का नाम , एड्रेस , कॉन्ट्रैक्ट नंबर के लिए Latter Pad रखना चाहिए जो हम उस कंपनी को दे सके
  • एक चेक अपने साथ रखना चाहिए
  • इंटरनेट पर और भी सभी सॉफ्टवेयर के बारे में सर्च कर लेना चाहिए

सारांश

Software खरीदने से सम्बंधित लगभग सभी जानकारी इस लेख में हमने देने की कोशिश की हैं, इसमें हमने जाना की किस टाइप के सॉफ्टवेयर होते हैं और कैसे काम करते हैं , सॉफ्टवेयर खरीदने और बनवाने से पहले क्या क्या ध्यान रखना चाहिए आशा हैं की आपको निर्णय लेने में मदद मिली होगी यदि फिर भी कही आपको कोई  Query हो तो आप हमें Mail कर सकते हैं हम कोशिश करेंगे की आपको मदद करे Mail में अपना मोबाइल नंबर जरूर दे ताकि हम आपसे संपर्क कर सके

मेने सॉफ्टवेयर की फील्ड में 13 साल कार्य किया हैं इसलिए मुझे डेस्कटॉप, वेब और मोबाइल एप्लीकेशन के बारे में बहुत सी बाते पता हैं और सॉफ्टवेयर बनाने वाली कम्पनीज भी संपर्क में है यदि आपको किसी भी प्रकार की मदद चाहिए तो कमेंट कीजिएगा

सॉफ्टवेयर हम बार बार नहीं बदल सकते इसलिए सोच समझ कर अपने विवेकानुसार ही निर्णय लीजिएगा

धन्यवाद्

  • Sandip Nigam
  • IMAGINATION
  • Selflearntech@gmail.com

 

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